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Showing posts from November, 2019

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एमपी इलेक्शन: सर्वे की कोख से निकली लिस्ट

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  Kamal Nath is going out of way to prove he is not anti-Hindu MP Assembly Election Update: 14 October 2023 NK SINGH कमलनाथ के प्लान के मुताबिक काँग्रेस की लिस्ट इस दफा सर्वे-नाथ ने बनाई है। प्रदेश के नेताओं में आम तौर पर सहमति थी कि लिस्ट इस बार सर्वे के आधार पर बनेगी। पर क्या यह महज संयोग है कि यह लिस्ट राहुल गांधी के गेम-प्लान के मुताबिक भी है? वे अपनी पार्टी के क्षत्रपों के कार्टेल को ध्वस्त करना चाहते हैं, जो 10-15 एमएलए के बूते पर प्रदेश की पॉलिटिक्स चलाते हैं। सर्वे की कोख से निकली लिस्ट कमोबेश जीत की संभावना के आधार पर बनी है। एनपी प्रजापति जैसे अपवादों को छोड़कर कोई सप्राइज़ नहीं। बीजेपी की लिस्ट देखते हुए, काँग्रेस इस बार फूँक-फूक कर कदम रख रही थी। भाजपा उम्मीदवारों की पांचों लिस्ट 2018 के मुकाबले काफी बेहतर थी। नाम दिल्ली ने तय किए, प्रदेश के किसी भी नेता के प्रभाव से परे। चयन का आधार गुटबाजी नहीं, जीत की संभावना रही। इसलिए, दोनों तरफ के उम्मीदवारों का लाइन-अप देखकर लगता है, मुकाबला कांटे है। टिकट न मिलने से निराश नेताओं की बगावत का दौर शुरू हो गया है। यह हर चुनाव में होता है।

रमेश चन्द्र अग्रवाल : क्षेत्रीय हिंदी पत्रकारिता में प्रोफेशनलिज्म का पुट

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Ramesh Chandra Agarwal Memoire: Ramesh Chandra Agarwal 30 Nov 1944 – 12 April 2017 NK SINGH प्रधान मंत्री के साथ विदेश यात्रा का वह आमंत्रण दैनिक भास्कर   प्रकाशन समूह के चेयरमैन श्री रमेश चन्द्र अग्रवाल के लिए आया था। तब ऐसे आमंत्रण पाकर क्षेत्रीय अख़बारों के मालिकों की बांछें खिल जाती थी। पर रमेश भाई साहेब –- भोपाल में सब उनके लिए भाई साहेब थे और वे सबके भाई साहेब थे –- अलग ही मिट्टी के बने थे। वह निमंत्रण ख़ुद स्वीकार करने की जगह उन्होंने अपनी जगह मेरे नाम की सिफ़ारिश की। मैं इसलिए भी हैरत में था कि भास्कर ज्वाइन किए मुझे हफ़्ता भर भी नहीं हुआ था। तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अमेरिका, जर्मनी और स्विस यात्रा को कवर करने सन २००० के आख़िरी दिनों में जब मैं न्यूयॉर्क पहुँचा तो तब मुझे भास्कर तथा अन्य क्षेत्रीय अख़बारों का फ़र्क़ मालूम हुआ। आनंद   बाज़ार पत्रि का जैसे कुछ प्रतिष्ठित मीडिया घरानों को छोड़कर ज़्यादातर क्षेत्रीय अख़बारों का, ख़ासकर हिंदी अख़बारों का, प्रतिनिधित्व उनके मालिक-सम्पादक कर रहे थे। भास्कर तबतक ऐसे अख़बारों से ऊपर उठ चुका थ

लोहियावादी रमा शंकर, जिन्हें 'सिंह' लगाने से नफ़रत है

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Nai Dunia 12 February 1978 Rama Shankar Singh, the youngest minister NK SINGH नवगठित सखलेचा मंत्रिमंडल के एक टटका राज्य मंत्री, श्री रमा शंकर (‘सिंह’ लगाने से जिन्हें नफरत है), अपनी उम्र बताने से कतराते हैं. एक रहस्यमय मुस्कान के साथ वे कहते हैं, “मामला अदालत में हैं.” अदालत में अर्जी लगाई गयी है कि रमाशंकर की उम्र २५ वर्ष से कम है; मतलब यह कि वे विधायक होने के ही काबिल नहीं! अदालत का फैसला तो कुछ हो इतना तो तय है कि वे देश सबसे कमसिन मंत्री हैं. पर अपनी कमसिनी के बावजूद (या उसकी बदौलत!) वे काफी प्रसिध्द हो चुके हैं. जनता पार्टी के आठ महीनों के शासन काल में एक लोहियावादी युवा तुर्क विधायक के रूप में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है. वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि अब मंत्री बनने के बाद वे अपने इस जुझारूपन को कायम रख पाते हैं या नहीं. आपातकाल के बाद देश की राजनीति में जो नयी पौध पनपी है, रमा शंकर उसके प्रतीक हैं. छात्र आंदोलनों से सीधे राजनीति में. जाहिर है, उनके सार्वजनिक जीवन की पृष्ठभूमि बहुत बड़ी नहीं हो सकती. वे भिंड जिले के नि

प्रभाष जोशी के बहाने समकालीन पत्रकारिता पर एक नजर

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Author at a function to release Prabhash Joshi's books on 30 July 2008 in Delhi. Left to right: Namvar Singh, Prabhash Joshi, NK Singh Prabhash Joshi  15 July 1937 - 5 November 2009 NK SINGH नामवर सिंह अचम्भे में थे. और दिल्ली के उस खचाखच भरे सभागार में बैठे कई दूसरे लोग भी. अवसर था हिंदी के शीर्ष संपादक प्रभाष जोशी के पांच खण्डों में छपे लेखों के संकलन के विमोचन का. राजकमल प्रकाशन ने लगभग २१०० पेजों में फैले इस संकलन को 2008 में एक साथ रिलीज़ करने की योजना बनाई थी. हिंदुस्तान के कई बड़े राजनेताओं से और मूर्धन्य पत्रकारों तथा लेखकों से प्रभाषजी की नजदीकी किसी से छिपी नहीं थी. मौजूदा चलन के हिसाब से ---- और पब्लिसिटी के भी हिसाब से ---- वे चाहते तो प्राइम मिनिस्टर या प्रेसिडेंट उनकी किताबों का विमोचन कर सकते थे. पर हमेशा की तरह प्रभाषजी ने इससे हट कर काम किया. उन्होंने प्रकाशक से कहा कि उनकी किताब पांच पत्रकार रिलीज़ करेंगे. वे प्रचलित अर्थो में नामी पत्रकार नहीं थे. इन पत्रकारों में एक भी ऐसा नहीं था जो जिसकी उपस्थिति दूसरे दिन अख़बार की सुर्खियाँ बनती या

How Sakhlecha replaced Kailash Joshi in Madhya Pradesh

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Economic & Political Weekly 28 January - 4 February 1978 NK SINGH   THE stage had been all set for a smooth transition of power. With all his rivals having backed out from the contest, the unanimous election of Virendra Kumar Sakhlecha , the blue-eyed boy of RSS, as the new chief minister of Madhya Pradesh had become a certainty. On the eve of the election, a joint statement by all his prominent detractors and cabinet ministers of the erstwhile Jana Sangh faction had cleared the decks for the 48-year-old lawyer-turned-politician.   Among the signatories for the unanimous election of Sakhlecha were his political rivals, Sunderlal Patwa and Sheetala Sahay , who till almost the last moment were themselves seriously toying with the idea of entering the leadership contest with socialist support. Even the attempts by a section of the socialists, Sakhlecha’s main detractors in the party, to set up a token candidate representing an organisation of Harijan and adivasi l

मध्य प्रदेश: जाना कैलाश जोशी का, आना सखलेचा का

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Kailash Joshi (Pic from Twitter) VK Sakhlecha replaces Kailash Joshi in MP   NK SINGH भारत के संसदीय इतिहास मेँ ऐसा पहली दफा हुआ है कि कोई भूतपूर्व मुख्यमंत्री अपने शासन के ठीक बाद बनने वाले दूसरे मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल में शामिल हुआ हो। मध्यप्रदेश में हुई राजनीतिक उथल-पुथल में भूतपूर्व मुख्यमंत्री  कैलाश  जोशी ने अपने वरिष्ठतम सहयोगी वीरेन्द्र कुमार सखलेचा से अपनी कुर्सी बदल ली है. सखलेचा जोशी की जगह आ गये हैँ और जोशी सखलेचा की जगह. एक मायने में भाग्यचक्र पूरी परिक्रमा कर चुका है. काफी पहले श्री सखलेचा विधान सभा में जनसंघ के नेता हुआ करते थे और जोशी उपनेता. अपनी सिंहासन बत्तीसी (नये मंत्रिमंडल में शुरू में 32 सदस्य ही थे) पर आरूढ़ होते ही वीरेन्द्र कुमार सखलेचा ने जादू की छड़ी घुमायी और बकौल सूचना व प्रकाशन संचालनालंय के: “राज्य सचिवालय के गलियारों में घूमने वाली भीड़ नदारदं हो गयी. सभी मेजों पर अधिकारी व कर्मचारी मुस्तैदी से मौजूद थे. कैंटीन में कार्यालयीन समय के दौरान बनी रहनेवाली भीड़ भी आज नहीं थी. वल्लभ भवन में सफाई के स्तर में भी एकदम से परिवर्तन आया. कमर

Socialist support tilts balance in favour of Kailash Joshi

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Frontier 23 July 1977 Madhya Pradesh : A Captive Chief Minister NK SINGH  During the recent bickering on the issue of ministry formation, the erstwhile socialist group alleged that the Chief Minister, Kailash Joshi , was a captive chief minister acting on the dictates of the   Jana Sangh ‘caucus’. If he is, no one but the socialists are to blame  for it. At the time of the election of the leader of the Janata legislature party, the socialist support was instrumental in tilting the balance overnight in the favour of the Joshi, a Jana Sangh man. His only opponent, V.K.Sakhlecha , also from Jana Sangh, who was going very strong at the moment, had to bow out of the contest. That made Joshi, although he was a Jana Sangh man, something of a socialist nominee! However, with the withdrawal of socialist support, Joshi had to lean heavily on the group led by Sakhlecha in his fight against the rebel group. An excellent political strategist, Sakhlecha has become de facto

कर्नाटक, दक्षिण का एकमात्र राज्य जहाँ भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला है

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Dainik Bhaskar 22 April 2019 Karnataka, only state in south where BJP claims a 'wave' NK SINGH in Bengaluru बंगलुरु के पास के उस देहात में बैंड जैसे ही ‘मन डोले, मेरा तन डोले’ की धुन शुरू करता है, कर्नाटक के आवास मंत्री एमटीबी नागराज अपने समर्थकों के साथ सड़क पर नागिन डांस प्रारंभ कर देते हैं.  ६७-वर्षीय कांग्रेस नेता अपनी पार्टी के लोक सभा उम्मीदवार एम वीरप्पा मोइली के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं.  एक हज़ार करोड़ रूपये से ज्यादा संपत्ति के मालिक आठवीं पास नागराज देश के सबसे संपन्न विधायक   हैं. पर वे मतदाताओं को रिझाने का कोई अवसर खोना नहीं चाहते हैं. कर्नाटक की राजनीति में सांप-नेवले का खेल चल रहा है. दक्षिण का यह अकेला राज्य है जहाँ कांग्रेस- बीजेपी में सीधा मुकाबला है.  दक्षिणी राज्यों में कर्नाटक की अलग राजनीतिक तासीर है. अपने दम-ख़म पर खड़ी भाजपा यहाँ दो बार सरकार बना चुकी है, एक बार तो अकेले अपने ही बूते पर.  इस बार भाजपा जितने जोश-खरोश से लड़ रही है, वह भी राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों को आगे कर, दक्षिण में वह और कहीं नजर नहीं आता. प्रधान मंत्री नर