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Ordinance to restore Bhopal gas victims' property

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NK SINGH Bhopal: The Madhya Pradesh Government on Thursday promulgated an ordinance for the restoration of moveable property sold by some people while fleeing Bhopal in panic following the gas leakage. The ordinance covers any transaction made by a person residing within the limits of the municipal corporation of Bhopal and specifies the period of the transaction as December 3 to December 24, 1984,  Any person who sold the moveable property within the specified period for a consideration which he feels was not commensurate with the prevailing market price may apply to the competent authority to be appointed by the state Government for declaring the transaction of sale to be void.  The applicant will furnish in his application the name and address of the purchaser, details of the moveable property sold, consideration received, the date and place of sale and any other particular which may be required.  The competent authority, on receipt of such an application, will conduct...

कर्नाटक, दक्षिण का एकमात्र राज्य जहाँ भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला है



Dainik Bhaskar 22 April 2019

Karnataka, only state in south where BJP claims a 'wave'

NK SINGH in Bengaluru

बंगलुरु के पास के उस देहात में बैंड जैसे ही ‘मन डोले, मेरा तन डोले’ की धुन शुरू करता है, कर्नाटक के आवास मंत्री एमटीबी नागराज अपने समर्थकों के साथ सड़क पर नागिन डांस प्रारंभ कर देते हैं. 

६७-वर्षीय कांग्रेस नेता अपनी पार्टी के लोक सभा उम्मीदवार एम वीरप्पा मोइली के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. एक हज़ार करोड़ रूपये से ज्यादा संपत्ति के मालिक आठवीं पास नागराज देश के सबसे संपन्न विधायक  हैं. पर वे मतदाताओं को रिझाने का कोई अवसर खोना नहीं चाहते हैं.

कर्नाटक की राजनीति में सांप-नेवले का खेल चल रहा है. दक्षिण का यह अकेला राज्य है जहाँ कांग्रेस- बीजेपी में सीधा मुकाबला है. 

दक्षिणी राज्यों में कर्नाटक की अलग राजनीतिक तासीर है. अपने दम-ख़म पर खड़ी भाजपा यहाँ दो बार सरकार बना चुकी है, एक बार तो अकेले अपने ही बूते पर. 

इस बार भाजपा जितने जोश-खरोश से लड़ रही है, वह भी राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों को आगे कर, दक्षिण में वह और कहीं नजर नहीं आता. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी दावा करते हैं: “कर्नाटक में लहर चल रही है.” 

पर ३० साल की दुश्मनी भुलाकर चुनावी दोस्त बने कांग्रेस और जनता दल (एस) का गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहा है. पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव में इन दोनों पार्टियों को मिलकर ५६ परसेंट वोट मिले थे, जबकि भाजपा को ३६ परसेंट.

कर्नाटक की गद्दी पर बैठा कांगेस-जेडीयू गंठजोड़ ऊपर से आरामदेह स्थिति में दिखता है. अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ए नारायण के मुताबिक “इस तथ्य को भूलना नहीं चाहिए कि मोदी युग में बीजेपी का परफॉरमेंस ख़राब हुआ है.” 

२००९ के लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने 19 सीटें जीती थी. २०१४ में मोदी लहर के बावजूद उसे १७ सीटें मिली थी. इसी तरह २००८ के विधान सभा चुनाव में उसने ११० सीटें जीती थी जबकि पिछले साल मोदी के धुंआधार और आक्रामक प्रचार के बावजूद उसे १०४ सीटें मिली थी.

कांग्रेस-जेडीयू गंठजोड की कमजोर केमिस्ट्री 

पर चुनावी अंकगणित में दो और दो हमेशा चार नहीं होता. कांग्रेस-जेडीयू गंठजोड़ सत्ता नामक कच्चे धागे से बंधा है. 

२०१८ चुनाव के बाद बनी अल्पसंख्यक बीजेपी सरकार के गिरने के बाद परंपरागत दुश्मन कांग्रेस ने जेडीयू से हाथ मिलाया. उसने अपने से आधी सीटों वाली जेडीयू को मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दी. 

सरकार तो बन गयी पर ग्राउंड लेवल पर दोनों पार्टियों में केमिस्ट्री नहीं बनी. इस चुनाव में कई जगह कार्यकर्ता घर बैठे हैं तो मंड्या जैसी जगहों पर भाजपा की मदद करते पाए गए. 

कांग्रेस के संकटमोचक कहलाने वाले जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार कहते हैं: “यह स्वाभाविक है क्योंकि ३०-४० साल से हम एक दूसरे से लड़ते रहे हैं. पर हालत ९० परसेंट ठीक हो गयी है.” 

शक है कि दोनों पार्टियों के वोट एक-दूसरे को ठीक से ट्रान्सफर होंगे या नहीं. ऐसी हालत में, गठबंधन के बावजूद कर्नाटक दक्षिण में भाजपा के लिए उम्मीद की एक किरण लेकर आया है.  

चुनाव प्रचार के दौरान नेतृत्व के स्तर पर कांग्रेस और जेडीयू नेताओं में जबरदस्त एकता दिखाई दी. उन्हें मालूम है कि अगर उन्होंने लोक सभा में जीत नहीं हासिल की तो बाद में कर्नाटक में उनकी सरकार लुढ़क सकती है. 

भाजपा के भूतपूर्व सीएम बीएस यदुरप्पा खुलेआम ऐलान कर चुके हैं: “अगर कर्नाटक के लोग हमें २२ लोक सभा सीटें दे दें, तो हम २४ घंटे के अन्दर राज्य में अपनी सरकार बना लेंगे.” हाल का राजनीतिक घटनाक्रम बताता है कि यह कोई गीदड़ भभकी नहीं. 

इस लटकती तलवार की वजह से नागिन डांस वाली राजनीति सांप-नेवले की लड़ाई में बदल गयी है.

Dainik Bhaskar 22 April 2019

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