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Ordinance to restore Bhopal gas victims' property

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NK SINGH Bhopal: The Madhya Pradesh Government on Thursday promulgated an ordinance for the restoration of moveable property sold by some people while fleeing Bhopal in panic following the gas leakage. The ordinance covers any transaction made by a person residing within the limits of the municipal corporation of Bhopal and specifies the period of the transaction as December 3 to December 24, 1984,  Any person who sold the moveable property within the specified period for a consideration which he feels was not commensurate with the prevailing market price may apply to the competent authority to be appointed by the state Government for declaring the transaction of sale to be void.  The applicant will furnish in his application the name and address of the purchaser, details of the moveable property sold, consideration received, the date and place of sale and any other particular which may be required.  The competent authority, on receipt of such an application, will conduct...

लोहियावादी रमा शंकर, जिन्हें 'सिंह' लगाने से नफ़रत है




Nai Dunia 12 February 1978


Rama Shankar Singh, the youngest minister

NK SINGH

नवगठित सखलेचा मंत्रिमंडल के एक टटका राज्य मंत्री, श्री रमा शंकर (‘सिंह’ लगाने से जिन्हें नफरत है), अपनी उम्र बताने से कतराते हैं. एक रहस्यमय मुस्कान के साथ वे कहते हैं, “मामला अदालत में हैं.”

अदालत में अर्जी लगाई गयी है कि रमाशंकर की उम्र २५ वर्ष से कम है; मतलब यह कि वे विधायक होने के ही काबिल नहीं!

अदालत का फैसला तो कुछ हो इतना तो तय है कि वे देश सबसे कमसिन मंत्री हैं.

पर अपनी कमसिनी के बावजूद (या उसकी बदौलत!) वे काफी प्रसिध्द हो चुके हैं. जनता पार्टी के आठ महीनों के शासन काल में एक लोहियावादी युवा तुर्क विधायक के रूप में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है. वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि अब मंत्री बनने के बाद वे अपने इस जुझारूपन को कायम रख पाते हैं या नहीं.

आपातकाल के बाद देश की राजनीति में जो नयी पौध पनपी है, रमा शंकर उसके प्रतीक हैं. छात्र आंदोलनों से सीधे राजनीति में. जाहिर है, उनके सार्वजनिक जीवन की पृष्ठभूमि बहुत बड़ी नहीं हो सकती.

वे भिंड जिले के निवासी हैं. दिल्ली में शिक्षा हुई. स्कूल में ही उनका संपर्क लोहियावादी संगठन, समाजवादी युवजन सभा से हुआ. छात्र आंदोलनों में सक्रिय हुए. १९७२ में एक लम्बी हड़ताल के बाद जो पांच छात्र नेता दिल्ली विश्वविद्यालय से निकले गए थे उनमें सबे कम उम्र होने का गौरव उनको हासिल है.

इसके बाद वे समाजवादी युवजन सभा के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बने. गुजरात आन्दोलन में हिस्सा लिया और जेपी के बिहार आन्दोलन के दौरान “सेना व पुलिस को भड़काने” के आरोप में एक महीने की जेल काटी.

आपातकाल में वे उन गिने-चुने लोगों में थे उन्होंने अधिनायकवादी सरकार के खिलाफ भूमिगत आन्दोलन चलाया. बुलेटिन निकले, पर्चे बांटे और पोस्टर चिपकाये – जो कि पुलिस को परेशान करने के लिए काफी था.

गत विधान सभा चुनाव में वे लहार क्षेत्र से भारी बहुमत से जीते, और जनता पार्टी विधायक दल के संयुक्त सचिव रहे.

उनका विभाग है – योजना और आर्थिक एवं सांख्यिकी. यह कोई बहुत बड़ा महकमा नहीं है. पर रमा सहनकर असंतुष्ट नहीं. “अभी तो मुझे बहुत कुछ सीखना है.”

From my weekly column ‘Vividha’ in Nai Dunia, 12 February 1978


Rama Shankar Singh, pic courtesy Facebook




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