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Bail for Union Carbide chief challenged

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NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

क से कांग्रेस, कमंडल, कमलनाथ, पर कार्यकर्ता कहाँ हैं?

Dainik Bhaskar 18 October 2018


Congress under Kamal Nath takes to soft Hinduism in 2018 assembly poll


NK SINGH

कांग्रेस को लगा कि उसके इलेक्शन फार्मूला में सॉफ्ट हिंदुवाद की मात्रा ज्यादा हो गयी है. सो, मध्य प्रदेश में राहुल गाँधी के चौथे चुनावी दौरे में उसे अपनी सेक्युलर विरासत याद आई.

ग्वालियर-चम्बल के दौरे में पीताम्बरा पीठ में पीली धोती पहनकर पूजा करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने बाकायदा वजू कर मस्जिद में खुदा को याद किया और गुरूद्वारे जाकर मत्था भी टेक आये.

विन्ध्य और ग्वालियर-चम्बल में राहुल गाँधी की रैलियों में अच्छी खासी भीड़ आई. इसके बावजूद कांग्रेस वह कमंडल छोड़ने को तैयार नहीं, जिसे लेकर वह चुनाव मैदान में उतरी थी.

“क्या बीजेपी ने हिन्दू धर्म की ठेकेदारी ले रखी है,” कमलनाथ बमक कर पूछते हैं. 

एक नयी आइडेंटिटी की तलाश में मानसरोवर-रिटर्न, शिव-भक्त राहुल गाँधी कहीं ११ पंडितों की शंख ध्वनि के बीच कन्या पूजन कर रहे हैं, तो कहीं चन्दन, रोली, अक्षत लगाकर रामभक्त बन रहे हैं और कहीं नर्मदा मैया की आरती उतार रहे हैं. 

राजीव गाँधी युग में भाजपा नेता रथ यात्रा निकाला करते थे. अब उनके बेटे के राज में कांग्रेसी नेता राम वन पथ गमन यात्रा निकाल रहे हैं.

सेक्युलर जमात सॉफ्ट हिंदुवाद की स्ट्रेटेजी से जितना भी नाराज हो, मध्य प्रदेश में वह पहले भी कांग्रेसी नेताओं की नैया पार लगा चुका है. छिंदवाडा में कमलनाथ ने इसका कामयाब इस्तेमाल किया था. 

भगवा ब्रिगेड के समर्थन में ढेर सारे साधू गाँव-गाँव घूम कर कांग्रेस की हालत पतली कर रहे थे. काट के लिए आनन-फानन अयोध्या और हरिद्वार से साधुओं के झुण्ड बुलाये गए. 

स्ट्रेटेजी कम आई. ये इम्पोर्टेड साधू गाँव-गाँव घूमकर प्रवचन करते और साथ में कांग्रेसी उम्मीदवार को आशीर्वाद देते.

भाजपा इस नैरेटिव को बदलने की कोशिश कर रही है. अमित शाह रोहंगिया शरणार्थियों का और बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठा रहे हैं. 

पर भाजपा की असली चुनौती एंटी इनकम्बेंसी है -- खासकर मौजूदा विधायकों के खिलाफ असंतोष. किसानों, सवर्णों और आदिवासी वोटों को लेकर उसे डर है. कांग्रेस की क़र्ज़ माफ़ी के ऐलान ने उसकी ब्याज माफ़ी की स्कीम फ्लॉप कर दी है. 

आदिवासी इलाकों में जयस का खतरा है. इस सबसे निपटने के लिए पार्टी हाथ-पाँव मार रही है. व्यापम कांड में फंसे लक्ष्मीकान्त शर्मा पांच साल से अश्पृश्य थे. सवर्ण आन्दोलन के बाद अब वे मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करते नजर आ रहे हैं. 

एंटी इनकम्बेंसी ने कैलाश विजयवर्गीय का वनवास ख़त्म किया और बाबूलाल गौर सरीखे उम्रदराज़ पर लोकप्रिय नेताओं का महत्व बढ़ा दिया.

इससे कांग्रेस को कितना फायदा होगा? १५ सालों में राजनीति की धुरी कांग्रेस से खिसककर भाजपा के पास जा चुकी है. सत्ता विरोधी वोट के बंटवारे का फायदा हमेशा सरकार में बैठी पार्टी को होता है. 

ऊपर से गुटबाजी बंद नहीं हुई है. राहुल गाँधी अपनी हर सभा में भरोसा दिलाते हैं कि कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है. पर इसपर खुद कांग्रेसी नेताओं को ही यकीन नहीं. 

हाल में वायरल एक विडियो में दिग्विजय सिंह कहते नजर आये कि वे पब्लिक मीटिंग में इस धारणा की वजह सामने नहीं आते कि उनकी वजह से वोट कट सकते हैं. 

इस विडियो के सामने आने के बाद लम्बे अर्से से उपेक्षित दिग्विजय को राहुल गाँधी हवाई जहाज में अपने साथ बैठाकर दिल्ली ले गए.

कांग्रेस की दूसरी अंदरूनी समस्या संगठन की है. पिछले कुछ सालों में पार्टी का ढांचा धराशाई हो चुका है. कई गांवों में उसके पास वर्कर नहीं. हालत यह है कि अक्सर कांग्रेस को पोलिंग बूथ मैनेज करने वालों का भी टोटा पड़ जाता है.

कांग्रेस के पास कमंडल भी है और कमलनाथ भी, पर कार्यकर्त्ता गायब हैं। और यह एक बड़ी चुनौती है.

Dainik Bhaskar 18 October 2018

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