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Bail for Union Carbide chief challenged

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NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

विन्ध्य में राजनीतिक गोत्र बदलते रहते हैं, नहीं बदलती है तो बदहाली

Dainik Bhaskar 13 November 2018



A political pilgrimage from Communist Party to BJP

NK SINGH


रीवा: देवतालाब के भाजपा विधायक गिरीश गौतम हर साल जाड़ों में अपने विधान सभा क्षेत्र का साइकिल से दौरा करते हैं. महीने भर एक पंचायत से दूसरी पंचायत साइकिल से जाते हैं. रात को गाँव में ही सो जाते हैं. उनके साथ स्थानीय कार्यकर्ताओं का हुजूम अगले पड़ाव तक उन्हें छोड़ने जाता है.

जनता से जुड़ने की इस हुनर की वजह से वे २००३ में विन्ध्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता श्रीनिवास तिवारी को परास्त कर चुके हैं. भाजपा में इस तरह काम करने वाले लोग थोड़े कम ही दीखते हैं.

गौतम  लम्बे समय तक कम्युनिस्ट पार्टी के कार्ड होल्डर थे. लाल झंडा थामे हुए वे एक दफा चुनाव कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर भी लड़ चुके है.

देवतालाब से ही कांग्रेस ने विद्यावती पटेल को खड़ा किया है, जो पहले बसपा के टिकट पर चुनाव लडती और जीतती रही हैं. इलाके में कोई भी उन्हें कांग्रेसी नेता के रूप में नहीं जानता. लगातार उन्हें बसपा नेता के रोल में देखने वाले वोटर कंफ्यूज हैं.

विन्ध्य के नेताओं को देखने से ऐसा कोलाज़ बनता है जिसमें सारे चेहरे गड्ड-मड्ड हो जाते हैं. इस दफा भी मैदान में कम उम्मीदवार हैं, जिन्हें आप खांटी कांग्रेसी या खांटी भाजपाई कह सकते हैं. यहाँ सारी पार्टियों के दरवाजे एक-दूसरे के लिए खुले रहते हैं.

“आवक-जावक तो चलत रहत है,” बिरसिंहपुर में सड़क किनारे खाने-पीने की एक दूकान चलने वाले सज्जन कहते हैं. इस आने जाने का कोई बुरा भी नहीं मानता. ढेरों उम्मीदवारों के राजनीतिक गोत्र कुछ और है और मुखौटा कुछ और.

गिरीश गौतम के अलावा भी भाजपा के कई नेता दूसरी पार्टियों से आये हैं, खासकर कांग्रेस से. इनमें मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और नागेन्द्र सिंह गुढ़ जैसे कद्दावर नेता भी शामिल हैं, लम्बे समय तक कांग्रेस में थे. शुक्ल इस बार रीवा से चुनाव लड़ रहे हैं तो सिंह गुढ़ से.

मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी समाजवादी दल होते हुए कांग्रेस के रास्ते भाजपा में आये. मऊगंज के उम्मीदवार प्रदीप पटेल, चुरहट के शारदेंदु तिवारी, सीधी के केदारनाथ शुक्ला और अमरपाटन के रामखिलावन पटेल लम्बे समय तक बसपा में रह चुके हैं.

“देखने में ऐसा लगता है मानों भाजपा ने अपने सारे बड़े नेता दूसरी पार्टियों से लिए हों,” विन्ध्य की राजनीति को अच्छी तरह समझनेवाले जयराम शुक्ल कहते हैं.

कांग्रेस ने इस दफा विद्यावती पटेल के अलावा और भी कई उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से इम्पोर्ट किये हैं, जिनमें भाजपा के अभय मिश्रा और बसपा की बबिता पटेल शामिल हैं.

मऊगंज के सवर्ण समाज पार्टी के लक्ष्मण तिवारी की राजनीतिक यात्रा काफी घुमावदार रही है – सवर्ण समाज पार्टी से भारतीय जनशक्ति, फिर भाजपा और अब सवर्ण समाज में वापस.

बड़े निरपेक्ष भाव से होने वाले इस आवक-जावक की एक वजह विन्ध्य की राजनीति पर सोशलिस्टों का पारंपरिक प्रभाव रहा है. अर्जुन सिंह से लेकर श्रीनिवास तिवारी तक कांग्रेस के सारे बड़े नेता सोशलिस्ट पार्टी से ही आये थे. सोशलिस्ट बैकग्राउंड के काफी नेता जनता पार्टी के विभाजन के बाद १९७७ के बाद भाजपा में चले गए थे.

नेताओं की आवक-जावक से दूर पूर इलाका बदहाल है. हाईवे से उतर कर जैसे ही अंदरूनी इलाकों में घुसें तो सड़कें लगभग गायब मिलती हैं. चित्रकूट से मझगवां होते हुए बीरसिंहपुर की सड़क इस कदर टूटी है कि लगता है दशकों से उसकी मरम्मत नहीं हुई है. लोग बिजली नहीं मिलने की शिकायत करते भी मिले. यह ऐसे मुद्दे हैं, जिनकों लेकर जनता के अन्दर गुस्सा पल रहा है.

Dainik Bhaskar 13 November 2018
Dainik Bhaskar 13 November 2018


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