NK's Post

Resentment against hike in bus fare mounting in Bhopal

Image
NK SINGH Though a Govt. directive has frustrated the earlier efforts of the MPSRTC to increase the city bus fares by as much as 300 per cent, the public resent even the 25 per cent hike. It is "totally unjust, uncalled for and arbitrary", this is the consensus that has emerged from an opinion conducted by "Commoner" among a cross-section of politicians, public men, trade union leaders, and last but not least, the common bus travelling public. However, a section of the people held, that an average passenger would not grudge a slight pinche in his pocket provided the MPSRTC toned up its services. But far from being satisfactory, the MPSRTC-run city bus service in the capital is an endless tale of woe. Hours of long waiting, over-crowding people clinging to window panes frequent breakdowns, age-old fleet of buses, unimaginative routes and the attitude of passengers one can be patient only when he is sure to get into the next bus are some of the ills plaguing the city b...

जब कमल हासन वोट मांगते हैं तो लोग उनसे पैसे मांगते हैं

Dainik Bhaskar 17 April 2019


Money power in Tamil Nadu elections


NK SINGH in Chennai

तमिलनाडु में चुनाव से ज्यादा इनकम टैक्स छापों की धूम मची है. नेताओं और उनके सहयोगियों के घर, दफ्तर, गाड़ियाँ और फार्म हाउस नोट उगल रहे हैं. चेन्नई में एमएलए होस्टल के बंद कमरों के ताले तोड़े जा रहे हैं और सुदूर इलाकों के गोदामों में रखी बोरियों में सोना मिल रहा है. 

चुनाव में काले पैसों के इस्तेमाल के लिए तमिलनाडु देश में सबसे बदनाम है. “वोटों की खरीद-फरोख्त आम है और लोग उम्मीद करते हैं कि चुनाव के पहले उन्हें नगदी मिलेगी”, कांग्रेस नेता ए गोपन्ना स्वीकार करते हैं.

१० मार्च को आचार संहिता लागू होने के बाद से इनकम टैक्स के छापों में २०२ करोड़ की नगदी समेत ५५२ करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है -- देश में अबतक जब्त नगदी का लगभग एक-तिहाई. 

तमिलनाडु एकमात्र राज्य है जहाँ की सारी ३९ लोक सभा सीटों को इलेक्शन कमीशन ने ‘एक्सपेंडिचर सेंसिटिव’ घोषित किया है. 

१०,००० करोड़ रुपया खर्च

एक रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक दल इस चुनाव में १०,००० करोड़ रुपया खर्च करेंगे. आज़ाद भारत के सारे चुनाव देख चुके कुन्नैया चेट्टी मुकाला कहते हैं:“सारी पार्टियाँ नगदी या उपहार बांटती हैं. गरीब आदमी अब चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकता,”.

टीवी, मिक्सर-ब्लेंडर, साड़ियों का उपहार तो आम है. तमिलनाडु एक कदम आगे जा चुका है. इस दफा कई उम्मीदवारों ने ज्यादा वोट दिलाने वाले इलेक्शन मैनेजरों को सोने के चेन, फ्रिज और बाइक के अलावा विदेश यात्राओं की घोषणाएं की हैं! द्रमुक के एक उम्मीदवार ने सबसे ज्यादा वोट से जितवाने वाले मैनेजर को एक करोड़ रूपये देने का ऐलान किया है. 

आईएएस छोड़कर राजनीति में आये आर रंगराजन कहते हैं, “वोट खरीद कर चुनाव जीतने को तमिलनाडु में ‘थिरुमंगलम फार्मूला’ कहा जाता है.” 

मदुरै जिले के थिरुमंगलम में २००९ में चुनाव जीतने के लिए डीएमके ने पैसे बांटने की गोपनीय रणनीति बनायीं थी. विकिलीक्स के मुताबिक स्टेट डिपार्टमेंट को भेजे एक केबल में अमेरिकन दूतावास ने इसे ‘थिरुमंगलम फार्मूला’ का नाम दिया. 

हालत यह है कि २०१६ के विधान सभा चुनाव में वोटों की खुलेआम खरीद-फरोख्त देखकर इलेक्शन कमीशन ने पहली दफा दो क्षेत्रों में चुनाव कैंसिल कर दिए.


थिरुमंगलम फार्मूला के बढ़ते प्रभाव ने साफ़-सुथरी राजनीति के हामी फिल्म स्टार कमल हासन जैसे नवागंतुक नेताओं को हाशिये पर धकेल दिया है. 

लक्ष्मी पुत्रों की कैद में तमिलनाडु की राजनीति 


चुनाव में मनी पॉवर के खिलाफ आवाज उठाने वाले हासन की पार्टी एमएनएम पहली दफा इस चुनाव उम्मीदवार खड़े किये हैं. हासन कहते हैं, “जब देहातों में मैं लोगों से वोट मांगता हूँ तो वे मुझसे बख्शीश मांगते हैं.” 

उनकी पार्टी तमिलनाडु और पुडूचेरी की सारी ४० लोक सभा सीटों के अलावा विधान सभा की १८ सीटें रही है. उसके उम्मीदवारों में कोई रंगराजन की तरह आईएस की नौकरी छोड़कर आया है, कोई आईपीएस अफसर रहा है तो कोई डिस्ट्रिक्ट जज. पर चुनाव मैदान में उनको कोई पूछने वाला नहीं.

हासन खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, पर पूरे प्रदेश में अपने उम्मीदवारों का प्रचार कर रहे हैं. 

वे मतदाताओं को बताते हैं कि वे अपने वोट बड़े सस्ते में बेच रहे हैं: “वे अरबों-खरबों लूट रहे हैं और आपको दो-तीन हज़ार देकर बहला देते हैं.” 

उन्हें देखने-सुनने के लिए आने वाली भीड़ के बावजूद हासन की आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो रही है. 

इस मामले में तमिल फिल्मों के सुपर स्टार रजनीकांत राजनीतिक रूप से ज्यादा परिपक्व साबित हुए. उन्होंने भी पिछले साल राजनीति में आने का ऐलान किया था. पर फिर वापस फिल्मों में चले गए. 

सुनहरे परदे पर अकेले सौ खलनायकों का सफाया करना आसन है, पर लक्ष्मी पुत्रों की कैद से तमिलनाडु की राजनीति को निकलना मुश्किल.  

Dainik Bhaskar 17 April 2019

Comments