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Bail for Union Carbide chief challenged

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NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

आंध्र में न मोदी फैक्टर, न राहुल फैक्टर, केवल तेलुगु फैक्टर

Jagan Mohan Reddy


Regional parties challenge national parties in Andhra


NK SINGH

Vijayawada 13 April 2019

पांच साल पहले हुए विभाजन के बाद से ही आंध्र में क्षेत्रीयता उफान पर है. राष्ट्रीय पार्टियाँ हाशिये पर पहुंच चुकी हैं. विभाजित आंध्र में बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी युवजन श्रमिक रैयत कांग्रेस के सुप्रीमो जगन मोहनरेड्डी कहते हैं: “यहाँ न मोदी फैक्टर है, न राहुल फैक्टर, यहाँ केवल तेलुगु फैक्टर है.” 

सत्तारुढ़ तेलुगु देशम और मुख्य विपक्ष वाईएसआर कांग्रेस दोनों क्षेत्रीय भावनाओं के ज्वार पर सवार चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं.

क्षेत्रीयता के उफान का सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को हुआ है. पांच साल पहले तक आन्ध्र पर राज करने वाली कांग्रेस के पास अब न तो एक भी विधायक है और न ही  सांसद! “कांग्रेस यहाँ टोटल खल्लास है,” 

अमरावती के कांग्रेस कार्यकर्त्ता रमेश कहते हैं. “लोग मानते हैं कि कांग्रेस ने ही आंध्र का बंटवारा किया और हमारा इतना नुक्सान किया,” विजयवाडा की एक मलिन बस्ती में रहने वाले श्रीमालू जोड़ते हैं. बीजेपी तो यहाँ कभी भी मजबूत नहीं थी.    

आंध्र की राजनीति पर चार दशकों से छाये मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू अपने कैरियर के भीषणतम संग्राम में जुटे हैं. ११ अप्रैल को राज्य में लोक सभा की २५ सीटों के साथ-साथ विधान सभा की १७५ सीटों के लिए भी चुनाव हो रहे हैं. 

क्या वे अपनी सरकार बचा पाएंगे? पिछली दफा उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. इस दफा वे वाईएसआरसी, भाजपा और कांग्रेस के अलावा फिल्म स्टार पवन कल्याण की क्षेत्रीय पार्टी जनसेना का भी मुकाबला कर रहे हैं.

नायडू भले अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर देश में तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने के सपने देख रहे हों, पर आन्ध्र के चक्रव्यूह में वे अकेले हैं. तीसरे मोर्चे के महारथी --- बंगाली ममता बनर्जी, यूपी के भैया अखिलेश यादव, कश्मीरी फारूक अब्दुल्ला और दिल्ली वाले अरविन्द केजरीवाल --- इस चक्रव्यूह में घुस भी नहीं सकते. 

इलेक्शन कमीशन ने चीफ सेक्रेटरी और इंटेलिजेंस के डीजी को हटा दिया है तथा पुलिस के डीजी के पर काट दिए हैं. नाराज नायडू कहते हैं: “अब यही बचा है कि वो मुझे भी जेल में डाल दें.”

नायडू को जगन कड़ी चुनौती दे रहे हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के बीच एक परसेंट से भी कम वोटों का फासला था. एंटी-इनकम्बेंसी की वजह से इन पांच सालों में जगन और ताकतवर होकर उभरे हैं. सारे सर्वे उनकी सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. 

वाईएसआरसी के दफ्तर में बैठे पर्यावरण एक्टिविस्ट क्रांति कुमार रेड्डी कहते हैं: “चंद्रबाबू से नाराज सारे लोग जगन की तरफ आ गए हैं.” नायडू को छोड़कर कोई इसकी बात नहीं करता कि जगन ने भ्रष्टाचार के केस में १६ महीने जेल में काटे या उनके खिलाफ ३१ क्रिमिनल केस लंबित हैं. 

वाईएसआरसी प्रवक्ता मस्तान राव कहते हैं: “२०१४ में भी उन्होंने यही आरोप लगाए थे. फिर भी हम को उतने ही वोट मिले, जितने उनको.”

चुनावी अखाड़े का सबसे दिलचस्प किरदार है, पवन कल्याण जो पांच साल पहले तक टीडीपी के साथ थे. उनकी जनसेना कम्युनिस्ट पार्टियों और बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. उनकी सभाओं में गजब की भीड़ आ रही है. 

आन्ध्र में फिल्म सितारों को लेकर दीवानगी का आलम रहा है, जिसके सबसे बड़े उदारहण तेलुगु देशम के संस्थापक एनटी रामा राव थे. पवन जिसके भी वोट ज्यादा काटेंगे, वह पार्टी हारेगी. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का ख्याल है कि एंटी-इनकम्बेंसी वोटों में सेंध लगाकर वे टीडीपी को फायदा पहुंचाएंगे. 

फायदा जिस को भी हो, आन्ध्र उन राज्यों में शामिल हो गया है जहाँ क्षेत्रीय पार्टियाँ राष्ट्रीय पार्टियों पर भारी हैं.

On special assignement for Dainik Bhaskar

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