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Bail for Union Carbide chief challenged

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NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

गैमन ने तोड़े घर खरीदने वालों के सपने

How Gammon shortchanged home buyers in Bhopal


नरेन्द्र कुमार सिंह


भोपाल के सबसे व्यस्ततम न्यू मार्केट इलाके में गैमन का सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट पिछले १० वर्षों से चल रहा है. १५ एकड़ में फैले इस प्रोजेक्ट में मॉल, होटल और दफ्तरों के अलावा २२-मंजिला गगनचुम्बी इमारतें बनेगी. 

बिल्डर का दावा है कि यह मध्य प्रदेश का सबसे ऊँचा हाई राइज होगा. यहाँ भोपाल के सबसे महंगे घर मिल रहे हैं, जिनकी कीमत चार-पांच करोड़ तक है. 

दिलचस्प बात यह है कि ये इमारतें बेशकीमती सरकारी जमीन पर तन रही हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल की घनी आबादी वाले इलाकों की पुनरघनत्विकरण (re-densification) योजना के तहत गैमन को यह जमीन २००८ में बेची थी.

लीज की शर्तों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट २०१३ तक बन जाना चाहिए था. पर धीमी रफ़्तार की वजह से सरकार ने डेडलाइन २०१५ तक बढ़ा दिया. प्रोजेक्ट तब भी पूरा नहीं हुआ तो सीनियर अफसरों की एक कमेटी ने इसपर लीज के उल्लंघन के लिए भरी जुरमाना ठोक दिया, जो अब दो करोड़ रूपये से भी ऊपर पहुँच गया है.

खरीददारों का पैसा गया कहाँ?

लेकिन काम की रफ़्तार देखकर लगता है सीबीडी बनने में अभी वर्षों लगेंगे. मामले को सुलझाने के लिए अब सरकार ने वित्तमंत्री जयंत मलैया कि अध्यक्षता में मंत्रियों के एक कमेटी बनाई है.

इस प्रोजेक्ट के घर खरीदने वालों की मुसीबत यह है कि लगभग पूरा पैसा देने के बावजूद और चार वर्षों के इंतज़ार के बाद भी गैमन कह रहा कि २०१९ तक ही वह पहला फ्लैट दे पायेगा. कई लोगों ने बैंक से कर्ज लेकर फ्लैट ख़रीदा है जिनपर उन्हें भरी ब्याज देना पड़ रहा है.

उधर गैमन की हालत यह है कि कभी मजदूरी न मिलने की वजह से मजदूर हड़ताल पर जाते हैं तो कभी सप्लायर शिकायत करते हैं कि उनके भुगतान समय पर नहीं हो रहे. कंपनी ही बता सकती है कि निवशकों का पैसा उसने कहाँ और कैसे खर्च किया. इस विषय में गैमन का पक्ष जानने की जब कोशिश की गयी तो उन्होंने जवाब नहीं दिया.

भोपाल की चंदना अरोरा ने भी इस प्रोजेक्ट में एक घर ख़रीदा था. उन्होंने मध्य प्रदेश रेरा में शिकायत की है: “हमने कंपनी के अकाउंट की फॉरेंसिक ऑडिट मांग की है ताकि पता लग सके कि डेवलपर ने हमारा पैसा कैसे खर्च किया है.”

इसके पहले यूनिटेक भोपाल के १२०० ग्राहकों से पांच साल पहले ३०० करोड़ रूपये उगाह कर अधूरा प्रोजेक्ट छोड़कर रफ्फूचक्कर हो चुका है.

Published in Tehelka (Hindi) of 15 Oct 2017


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