NK's Post

Bail for Union Carbide chief challenged

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NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

नरेंद्र कुमार सिंह : पत्रकारिता के धूमकेतु

Narendra Kumar Singh

MY EDITOR : NARENDRA KUMAR SINGH 

Prakash Hindustani

प्रकाश हिन्दुस्तानी की वेबसाइट पर ‘मेरे संपादक’ शृंखला में प्रकाशित

एन.के. के नाम से मशहूर नरेन्द्र कुमार सिंह ने पत्रकारिता में अनेक झंडे गाड़े हैं। वे हैं तो बिहार के लेकिन उनका कर्म क्षेत्र पूरा भारत की रहा है, जिसमें से मध्यप्रदेश में उन्होंने अपनी सेवाओं लम्बे समय तक दी और अब वे मध्यप्रदेश के ही निवासी हो गए हैं।

अपने ४० साल के पत्रकारिता के जीवन में एनके सिंह के तीन हजार से ज्यादा आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। कई अखबारों का सम्पादन वे कर चुके हैं और कई डाक्यूमेन्ट्री फिल्मों के निर्माण अहम सहयोग दे चुके हैं। सेन्ट्रल प्रेस क्लब भोपाल के अध्यक्ष रह चुके नरेन्द्र कुमार सिंह ने संगठन को बनाने के लिए ही बहुत सारे कार्य किए हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स के मध्यप्रदेश के स्थानीय सम्पादक के रूप में, इंडियान एक्सप्रेस के गुजरात संस्करणों के सम्पादकों के रूप में और दैनिक भास्कर के राजस्थान संस्करणों के सम्पादक के रूप में वे काम कर चुके हैं। वे दैनिक भास्कर भोपाल के स्थानीय सम्पादक भी रहे और इंडिया टुडे पत्रिका के एसोसिएट्स एडिटर और विशेष संवाददाता के रूप में करीब १४ साल मध्यप्रदेश में कार्य कर चुके हैं। पीपुल्स समाचार समूह के सम्पादक के रूप में भी उन्होंने कार्य किया।

करीब चार दशक पहले अप्रैल १९७६ से मार्च दिसम्बर १९७८ तक उन्होंने नईदुनिया में राजेन्द्र माथुर के साथ वरिष्ठ उप सम्पादक के रूप में भी कार्य किया। नईदुनिया में ‘पत्र, सम्पादक के नाम’ स्तंभ में सम्पादन का कार्य उन्होंने बड़ी सफलता से किया। इस स्तंभ का जिम्मा लेने के बाद यह स्तंभ बहुत लोकप्रिय हुआ और सम्पादक के नाम आने वाले औसत पत्रों की संख्या ४५-५० से बढ़कर करीब २५० प्रतिदिन हो गए।

२० साल से भी कम उम्र में लिखना शुरू कर दिया था। गंभीर विषयों पर लिखे उनके लेख अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपने शुरू हो गए थे, जिनमें रोमेश थापर द्वारा सम्पादित प्रसिद्ध पत्रिका ‘सेमिनार’ शामिल है। १९७७ में इकॉनोमिकल एंड पॉलिटिकल वीकली में उन्होंने शंकर गुहा नियोगी पर एक लेखमाला लिखी थी। इसी लेखमाला के माध्यम से देश ने शंकर गुहा नियोगी को जाना।

सार्थक पत्रकारिता

नरेन्द्र कुमार सिंह के द्वारा समसामयिक मुद्दों पर उठाए गए विषयों पर सुप्रीम कोर्ट ने कई बार पहल की और पीड़ितों को न्याय दिलाने की शुरुआत की। इनमें पत्थर खदानों में काम कर रहे बंधुआ मजदूरो का मुद्दा प्रमुख है, जो मध्यप्रदेश में कार्य कर रहे थे। इसके अलावा मंदसौर में स्लेट-पेंसिल उद्योग में काम कर रहे मजदूरों को सिलिकोसिस बीमारी का मुद्दा भी प्रमुख रहा और इटारसी के पास केसला फायर रेंज मेंं बमों की खोल बीनने वाले गरीब कबाड़ियों का मुद्दा भी।

द टाइम्स ऑफ इंडिया, फॉर इस्टर्न इकोनॉमिक रिव्यू, सेमीनार, मेनस्ट्रीम, लिंक, मॉर्डन रिव्यू, ब्लिट़्ज, करंट, जनसत्ता, दिनमान, संडे, ऑनलुकर, फ्रन्टीयर  आदी  में उनके लेख और रिपोर्ट प्रकाशित होते रहे। समसामयिक विषयों पर उनकी तीन पुस्तिकाएं भी प्रकाशित हुई है जो चाईबासा के दंगों, नानोरी तथा सजनी के दंगों तथा आरएसएस ऑक्टोपस इन बीएचयू के नाम से प्रकाशित हुई थी।

१५ दिसम्बर १९५२ को जन्मे नरेन्द्रकुमार सिंह का दो दशकों से भी ज्यादा का कार्यकाल मध्य प्रदेश में ही बीता है। वे मानव अधिकार कार्यकर्ता के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं और कई मानव अधिकार संगठन तथा एनजीओ से जुड़े हैं। १९८२ में उन्हें मानव अधिकार के मुद्दों पर बेहतरीन रिपोर्टिंग पर मध्यप्रदेश पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी़ज सम्मान भी मिला है। १९८२ में उन्हें एसपीएन पत्रकारिता न्यास का एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड भी मिल चुका है। एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है।

अपने पत्रकारीय जीवन में एन.के. सिंह ने अनेक मोर्चों पर काम किया। हर मोर्चे पर उन्होंने अपनी काबिलियत और विश्वसनीयता का लोहा मनवाया। चाहे वह नईदुनिया में डेस्क का काम हो या इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टिंग। हिन्दुस्तान टाइम्स के एडिटर के रूप में उन्होंने इंदौर संस्करण की शुरुआत करवाई और इंडियन एक्सप्रेस के गुजरात संस्करणों के सम्पादक के रूप में गुजरात की जटिल सामाजिक आर्थिक संरचना पर उद्देश्य पूर्ण पत्रकारिता की।

दैनिक भास्कर भोपाल के सम्पादक बनने के बाद उन्हें पद्दोन्नत कर जयपुर भेजा गया, जहां उन्होंने दैनिक भास्कर के राजस्थान से प्रकाशित होने वाले १२ संस्करणों की सम्पादकीय का नेतृत्व किया। अंग्रेजी दैनिक हितवाद के भोपाल संस्करण में उन्होंने रात्री कालीन शिफ्ट इंचार्ज और कॉपी एडिटिंग का कार्य भी किया। अनेक राजनीतिज्ञों से उनके व्यक्तिगत संबंध भी रहे।

Courtesy: Prakash Hindustani’s Website — www.prakashhindustani.com

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