NK's Post

Resentment against hike in bus fare mounting in Bhopal

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NK SINGH Though a Govt. directive has frustrated the earlier efforts of the MPSRTC to increase the city bus fares by as much as 300 per cent, the public resent even the 25 per cent hike. It is "totally unjust, uncalled for and arbitrary", this is the consensus that has emerged from an opinion conducted by "Commoner" among a cross-section of politicians, public men, trade union leaders, and last but not least, the common bus travelling public. However, a section of the people held, that an average passenger would not grudge a slight pinche in his pocket provided the MPSRTC toned up its services. But far from being satisfactory, the MPSRTC-run city bus service in the capital is an endless tale of woe. Hours of long waiting, over-crowding people clinging to window panes frequent breakdowns, age-old fleet of buses, unimaginative routes and the attitude of passengers one can be patient only when he is sure to get into the next bus are some of the ills plaguing the city b...

सीएम के साले संजय मसानी का सियासी सफ़र : “मैं तो साहब बन गया”

Sanjay Singh Masani


MADHYA PRADESH

Chouhan's brother-in-law leaves BJP to join Congress

NK SINGH

वारासिवनी: कांग्रेस उम्मीदवार संजय सिंह मसानी वोट कितने बटोरेंगे, कहना मुश्किल है, पर वे तालियाँ खूब बटोर रहे हैं. मसानी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले हैं. चुनाव के ठीक पहले उन्होंने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा.

अपने लच्छेदार भाषण से वे लोगों को खींचने की कोशिश कर रहे हैं. शाम के धुंधलके में सड़क पर एक जगह अपनी गाड़ी रोककर ट्रक पर लगे सर्चलाइट की रोशनी में एक नुक्कड़ पर लोगों को बताते हैं कि क्यों उन्हें इस बार संजय मसानी को वोट देना चाहिए. “रुका हुआ पानी तो ढोर भी नहीं पीता.”

मसानी के लिए कांग्रेस का टिकट पाना जितना आसन था, जीतना उतना नहीं हैं. उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं, भाजपा के मौजूदा विधायक योगेन्द्र निर्मल और कांग्रेस के दमदार बागी प्रदीप जायसवाल, जो इसी सीट से पहले तीन बार चुनाव जीत चुके हैं.

शिवराज मामा की जगह असली मामाजी को लाकर कांग्रेस ने खूब सुर्खियाँ बंटोरीं. पर रणक्षेत्र में मसानी अकेले खड़े नजर आते हैं. कांग्रेस का झंडा उठाकर, कमल नाथ की तस्वीरों से सजे मंच पर पंजा के लिए वोट मांगे वाले मसानी कहते हैं: “यहाँ कांग्रेस नहीं लड़ रही है.”

क्षेत्र के ज्यादातर कांग्रेस वर्कर बागी उम्मीदवार के लिए काम कर रहे हैं. कांग्रेस का एक भी बड़ा नेता अब तक वारासिवनी में झाँकने भी नहीं आया है.

मसानी इस इलाके को पिछले पांच सालों से सेव रहे थे. वे वैसे तो महाराष्ट्र में गोंदिया के रहने वाले हैं. पर अपने बहनोई के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उन्होंने पडोसी बालाघाट को अपने कार्यक्षेत्र बनाया है. काफी अरसे से वे वारासिवनी को पोस रहे थे, जहाँ वे बुजुर्गों और शिक्षकों के पाँव पखारने से लेकर गरीबों के आँख के ऑपरेशन कराने तक में भिड़े रहते थे.

पर ऐन मौके पर भाजपा ने टिकट देने से मना कर दिया. वे बताते हैं कि कांग्रेस में जाने के पहले वे अपनी मां को साथ लेकर बहनोई से मिलने भी गए थे: “मैंने उनको बताया था, धोखे में रखकर नहीं गया.”

वैसे, इस चुनाव में शिवराज सिंह ने उनके मनसूबे परास्त कर दिए हैं. अभी तक मैदान में भाजपा के बागी उम्मीदवार गौरव पारधी भी थे, जिसकी वजह से मसानी के चांस बन रहे थे.

पर इस सप्ताह शिवराज वारासिवनी आये और पांच मिनट में ही उन्होंने पारधी को घर बैठा दिया. यह जरूर है कि शालीनता बरतते हुए शिवराज ने अपने भाषण में एक बार भी अपने साले का नाम नहीं लिया.

वैसे तो मसानी भी अपने भाषणों में बहनोई का नाम नहीं लेते हैं और न ही उनपर हमला करते हैं. पर वे अपने संबंधों का बखान करने से नहीं चूकते और लोगों को बताते हैं कि मैदान में उनके आने से वारासिवनी इंटरनेशनल मैप पर आ गया है.

“पूरे देश से पत्रकार आ रहे हैं. इसके पहले वे वारासिवनी क्यों नहीं आते थे. न्यू जर्सी तक में लोग इस इलेक्शन के बारे में बात कर रहे हैं.”

सफ़ेद कलफदार कुरते-पायजामे पर कत्थई कलर का जैकेट पहने लम्बे कद के मसानी नाटकीय अंदाज़ में बोलते हैं. क्यों न बोलें, वे कुछ फिल्मों में अभिनय भी कर चुके हैं.

लगभग हर सभा में वे एक ही सांस में धाराप्रवाह इलाके के १५० गाँव के नाम लेते हैं, यह बताने के लिए वे यहाँ से कितने जुड़े हैं. खांटी नेता की तरह सर में पीला फेंटा बांधकर गावरी समाज की पंगत में प्रसाद खाते हैं.
Jyoti Singh Masani


गले में कांग्रेस का तिरंगा दुपट्टा डाले बगल में खड़ी उनकी पत्नी ज्योति अपनी भाभी की याद दिलाती हैं जो अपने पति के साथ साए के जैसा लगी रहती हैं.

ज्योति मसानी का कहना हैं कि वे अलग से घूमकर प्रचार करती हैं: “जितना वे घूमते हैं, उससे ज्यादा मैं घूम रही हूँ क्योंकि उनके पास सब जगह जाने के लिए समय नहीं है.”

कांग्रेस के बागी उम्मीदवार प्रदीप जायसवाल ने भाजपा की राह आसन कर दी है. उनसे मिल रही कड़ी चुनौती के बारे में मसानी कहते हैं: “केवल शरीर उड़ा है, पर आत्मा हमारे साथ है.”

वे बार बार दुहराते हैं कि “वोटर साइलेंट है”, और शायद लोग उनको पिछड़ता हुआ देख रहे हैं. उन्हें इस “साइलेंट वोटर” पर भरोसा है.

Dainik Bhaskar 26 November 2018




Dainik Bhaskar 26 October 2018


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