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Ordinance to restore Bhopal gas victims' property

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NK SINGH Bhopal: The Madhya Pradesh Government on Thursday promulgated an ordinance for the restoration of moveable property sold by some people while fleeing Bhopal in panic following the gas leakage. The ordinance covers any transaction made by a person residing within the limits of the municipal corporation of Bhopal and specifies the period of the transaction as December 3 to December 24, 1984,  Any person who sold the moveable property within the specified period for a consideration which he feels was not commensurate with the prevailing market price may apply to the competent authority to be appointed by the state Government for declaring the transaction of sale to be void.  The applicant will furnish in his application the name and address of the purchaser, details of the moveable property sold, consideration received, the date and place of sale and any other particular which may be required.  The competent authority, on receipt of such an application, will conduct...

विन्ध्य के तीन हाई प्रोफाइल चेहरे अपने गढ़ बचाने में जुटे

Dainik Bhaskar 20 November 2018


Three high profile candidates fighting to save their turf

NK SINGH

सतना: अमरन नदी के किनारे नागौद रियासत का खूबसूरत किला मध्यकालीन स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है.

भरहुत पत्थरों से बने इस किले के पास ही उड़दान गाँव है. गाँव के दलित मोहल्ले में एक कुर्सी पर नागौद रियासत के वंशज नागेन्द्र सिंह बैठे हैं. नीचे फर्श पर मोहल्ले के कुछ लोग बैठे हैं. गली में दलित नवयुवकों का जमावड़ा है.

उनकी शिकायत है कि पढाई-लिखाई करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है. एक महिला अपनी पेंशन बंद होने की शिकायत लेकर आई है. सबका कुछ न कुछ रोना है.

लगता है ऐसी ही शिकायतों से निबटने के भाजपा ने यहाँ से नागेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है, जो शिवराज सिंह चौहान की पिछली सरकार में मंत्री थे. फिलहाल वे खजुराहो से सांसद हैं.

उनके सामने कांग्रेस के मौजूदा विधायक यादवेन्द्र सिंह को हराने की चुनौती है. दोनों मुख्य उम्मीदवार राजपूत हैं. इलाके में पिछले पांच साल से जमावट कर रही भाजपा नेता रश्मि पटेल बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. वे  अपनी पुरानी पार्टी को नुकसान पहुंचाएगी.

नागेन्द्र सिंह का कहना है कि वे खुद चाहते थे कि किसी और को टिकट मिले. इस बारे में उन्होंने सीएम को एक चिठ्ठी भी लिखी थी. ९ अक्टूबर २०१८ को लिखी उस चिठ्ठी की एक फोटोकॉपी वे साथ लेकर चल रहे हैं. वे मौजूदा लोगों को उसे पढ़कर सुनाते भी हैं.

जाहिर है चुनौती कड़ी है.   

दलितों की शिकायत से नागेन्द्र सिंह क्षुब्ध नजर आ रहे हैं. “हम योजनायें तो बड़ी अच्छी बना लेते हैं, पर उन्हें ठीक से लागू नहीं कर सकते,” वे कहते हैं, “मेरी राय में अब नए स्कीम लाने की जगह हमें पुरानी स्कीमों पर ही ठीक से काम करना चाहिए.”

१९७७ में पहला चुनाव जीते नागेन्द्र सिंह ने आज तक केवल दो बार पराजय का मुंह देखा है.

नागेन्द्र सिंह का चुनाव विन्ध्य में सबसे दिलचस्प मुकाबलों में एक हो गया है क्योंकि उनका पूरा खानदान ही राजनीति में है.

उनके दो भाई एमएलए रह चुके हैं, एक भाई की बहू नगर पंचायत अध्यक्ष थी और भतीजा जनपद का.

रीवा भले ही विन्ध्य की राजनीतिक राजधानी हो, पर सतना यहाँ का आर्थिक केंद्र है. विन्ध्य के सबसे दिलचस्प मुकाबले भी यहीं लड़े जा रहे हैं.

नागोद से महज ५० किलोमीटर दूर रामपुर बघेलान के भाजपा उम्मीदवार विक्रम सिंह के पास भले ही कोई किला न हो, पर एक मजबूत राजनीतिक विरासत है.

नेहरु-गाँधी परिवार की तरह ही उनके परिवार की भी चौथी पीढ़ी पॉलिटिक्स में है. परदादा अवधेश प्रताप सिंह विन्ध्य प्रदेश के प्रधानमंत्री थे (तब यही पदनाम था), दादा गोविन्द नारायण सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे और पिता हर्ष सिंह अभी भी भाजपा सरकार में मंत्री हैं.

बीमारी के वजह से हर्ष सिंह का टिकट उनके बेटे को दिया गया. उनका मुकाबला बसपा के रामलखन पटेल से है, जो पिछला चुनाव २५ हज़ार वोटों के अंतर से हारे थे. एंटी इनकम्बेंसी की वजह से इस बार ‘विक्की भैया’ की राह आसन नहीं.


इलाके का तीसरा दिलचस्प मुकाबला अमरपाटन में हो रहा है, जो रामपुर बघेलान से सटा हुआ है. वहां से कांग्रेस के मौजूदा विधायक राजेंद्र सिंह भाजपा के पूर्व विधायक रामखेलावन पटेल का मुकाबला कर रहे हैं.

सिंह विधान सभा के डिप्टी स्पीकर हैं और चार बार विधायक रह चुके हैं. आईपीएस अफसर रह चुके उनके पिता शिवमोहन सिंह भी विधायक रह चुके है.

१५ साल पुरानी भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी का उनको फायदा मिल सकता है.

अभी तो ये तीनों हाई प्रोफाइल उम्मीदवार अपना गढ़ बचाने की जुगत में भिड़े हैं. 

Dainik Bhaskar 20 November 2018


Dainik Bhaskar 20 November 2018


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