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Resentment against hike in bus fare mounting in Bhopal

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NK SINGH Though a Govt. directive has frustrated the earlier efforts of the MPSRTC to increase the city bus fares by as much as 300 per cent, the public resent even the 25 per cent hike. It is "totally unjust, uncalled for and arbitrary", this is the consensus that has emerged from an opinion conducted by "Commoner" among a cross-section of politicians, public men, trade union leaders, and last but not least, the common bus travelling public. However, a section of the people held, that an average passenger would not grudge a slight pinche in his pocket provided the MPSRTC toned up its services. But far from being satisfactory, the MPSRTC-run city bus service in the capital is an endless tale of woe. Hours of long waiting, over-crowding people clinging to window panes frequent breakdowns, age-old fleet of buses, unimaginative routes and the attitude of passengers one can be patient only when he is sure to get into the next bus are some of the ills plaguing the city b...

मंच पर साम्प्रदायिकता के खिलाफ भाषण, नीचे धार्मिक नारे

Dainik Bhaskar 11 April 2019


The importance of being Asaduddin Owaisi


NK SINGH

हैदराबाद: चार मीनार के पास घनी आबादी वाली एक बस्ती. सड़क के दोनों तरफ पंसारी, हलवाई, नाई और इसी तरह के छोटे-मोटे कारोबार करने वालों की दुकानें हैं. बीच-बीच में कसाईयों की दुकानें हैं. कटे हुए जानवरों के धड़ लटके हैं, जिनकी गंध पूरे इलाके में फैली है. एक तरफ एक मस्जिद है, दूसरी तरफ इस्लामिक लाइब्रेरी एंड रीडिंग रूम का बोर्ड नजर आ रहा है.

इन सबके बीच बाज़ार में सड़क रोक कर एक स्टेज खड़ा कर दिया गया है. ऊपर मंच पर वक्ता साम्प्रदायिक ताकतों की खिलाफ गरमा-गरम तकरीरें कर रहे हैं. नीचे रखी कुर्सियों पर बैठे श्रोता कोई भी जुमला पसंद आने पर ‘नाराए तकबीर, अल्लाहो अकबर’ के नारे लगाते हैं.

पर ये सब टाइम पास वक्ता हैं.

लोगों को मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी का इंतज़ार है, जो हैदराबाद से सांसद हैं, और अपने जोशीले, चुटीले और लच्छेदार भाषणों के लिए मशहूर हैं.

पर उसके पहले उनके छोटे भाई विधायक अकबरुदुद्दीन ओवैसी तशरीफ़ लाते हैं, जो अभद्र भाषा और भड़काऊ भाषणों के लिए सुर्ख़ियों में बने रहते हैं. वे लोगों को याद दिलाते हैं कि भारत में हैदराबाद के विलय के समय किस तरह मजलिस ने “हमारी माताओं और बहनों की इज्ज़त बचायी.”

वास्तव में, मजलिस रजाकार आन्दोलन की पैदाईश है. निज़ाम के समर्थक हथियारबंद रजाकारों ने हैदराबाद के भारत में विलय का विरोध किया था. श्रोता दोगुने जोश से अल्लाहो अकबर के नारे लगाने लगते हैं.

उनका भाषण ख़त्म होते-होते मीटिंग में एक बिजली सी दौड़ जाती है. असदुद्दीन ओवैसी आ चुके हैं. उनकी एक झलक पाने के लिए लोग कुर्सियों पड़ खड़े हो जाते हैं.

ओवैसी लोगों को धार्मिक नारे लगाने के लिए झिड़कते हैं. पर वे उन्हें निराश भी नहीं करते.

शुरुवात में ही वे अपने उस विवादस्पद भाषण का जिक्र करते हैं जिसमें पुलवामा हमले के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में कहा था कि लगता है कि वे “बड़े की बिरयानी खाकर सो गए थे.” 

हमलों की बानगी देखें:
    
    "लोगां मेरे कू बोला कि वो गोश्त नहीं खाते. अब मेरे को क्या मालूम कि क्या खाते, क्या नहीं खाते. चलो, मान लिया भाई. तो अब मैं पूछता, क्या वे ढोकला खाकर सो गए थे? इडली बड़ा खाकर सो गए थे? वेजिटेबल बिरयानी खाकर सो गए थे?"

"नरेंदर मोदी ने जेट एयरवेज के नरेश गोयल को स्टेट बैंक का १,५०० करोड़ दे दिया. बाप की जागीर है? देश के पैसे पर महबूब की मदद! मैं बोलां बाप के जागीर, तो इसपर बोलेंगे. मैं तो बोलेंगा. क्या करते तुम?”

हैदराबाद लोक सभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग आधी है. वे ओवैसी के ऐसे ही बोलों पर फ़िदा हैं. ४९ साल के ओवैसी दो बार विधान सभा और तीन दफा लोक सभा का चुनाव जीत चुके हैं.

तीन महीने पहले विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी ने इस क्षेत्र की सात में से छह सीटें जीती थीं. एक सीट बीजेपी को मिली. १९८४ से मजलिस से इस क्षेत्र में आज तक कभी हार का मुंह नहीं देखा. असदुद्दीन के पहले उनके वालिद यहाँ से एमपी थे.

पर ओवैसी कहते हैं, “मैं अपने को केवल मुस्लिम नेता के रूप में नहीं देखता हूँ.” लन्दन से बैरिस्टरी पढ़े ओवैसी इस्लामिक स्टेट को “जहन्नुम के कुत्ते” कह चुके हैं और अपने आप को “ख्वाजा अजमेरी की जमीन की हिंदुस्तान की साझा संस्कृति” का नुमयिंदा मानते हैं.

पर उनके भड़काऊ भाषणों की वजह से लोग उनकी तुलना मोहम्मद अली जिन्ना से करते हैं. यही वजह है कि तमाम कोशिशों के वाबजूद उनकी पार्टी को हैदराबाद के बाहर आजतक कोई खास कामयाबी नहीं मिल सकी है.

Dainik Bhaskar 11 April 2019

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