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Resentment against hike in bus fare mounting in Bhopal

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NK SINGH Though a Govt. directive has frustrated the earlier efforts of the MPSRTC to increase the city bus fares by as much as 300 per cent, the public resent even the 25 per cent hike. It is "totally unjust, uncalled for and arbitrary", this is the consensus that has emerged from an opinion conducted by "Commoner" among a cross-section of politicians, public men, trade union leaders, and last but not least, the common bus travelling public. However, a section of the people held, that an average passenger would not grudge a slight pinche in his pocket provided the MPSRTC toned up its services. But far from being satisfactory, the MPSRTC-run city bus service in the capital is an endless tale of woe. Hours of long waiting, over-crowding people clinging to window panes frequent breakdowns, age-old fleet of buses, unimaginative routes and the attitude of passengers one can be patient only when he is sure to get into the next bus are some of the ills plaguing the city b...

तेलंगाना में एक तरफ खैरात बरस रही, दूसरी तरफ वोट

Dainik Bhaskar 1 April 2019

Why it is difficult to defeat KCR in Telangana

NK SINGH 
हैदराबाद: मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने वोटरों से बंगारू तेलंगाना का वायदा किया है. तेलगु में सोने को बंगारू कहते हैं. आज तेलंगाना में एक तरफ सोना बरस रहा है तो दूसरी तरफ वोट. इसे समझने के लिए केसीआर के नाम से विख्यात मुख्यमंत्री की लोकप्रियता का राज समझना जरूरी है.
पृथक तेलंगाना आन्दोलन की भट्टी में तप कर निकले ६५-वर्षीय केसीआर की इमेज क्रांति नायक की है. इस वजह से वे आम लोगों में हमेशा लोकप्रिय थे.
इसके बावजूद नए राज्य की स्थापना के ठीक बाद २०१४ के विधान सभा चुनाव में उनकी तेलंगाना राष्ट्र समिति को ११९ में से ६३ सीटें मिली थीं.
पर पिछले दिसंबर में हुए विधान सभा चुनाव में उसने ८८ सीटें जीत कर प्रचंड बहुमत हासिल किया. जाहिर है इन पांच सालों में उनकी और उनकी पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी है.
तेलंगाना सरकार ने वेलफेयर स्टेट के नाम पर इतनी खैरात बांटी है कि आंकड़े देखकर डर लगता है. बकौल केसीआर, “हम हर साल ४०,००० करोड़ रूपये वेलफेयर पर खर्च करते हैं.”
कुछ योजनाओं की बानगी देखें. शादी मुबारक में हर लड़की की शादी पर एक लाख रूपये मिलते हैं, भले ही कितनी भी लड़कियां हो. शर्त केवल एक है. परिवार की सालाना आमदनी दो लाख रुपये से कम होनी चाहिए.
रैयत बंधू की पूरे देश में धूम  है. हर किसान को, जिसके नाम पर जमीन है, सरकार हर साल आठ हज़ार रूपये प्रति एकड़ की ग्रांट देती है. कोई सवाल नहीं पूछा जाता है.
रंगारेड्डी जिले में मिर्ज़ागुडा के किसान पिंटू सिंह कहते हैं: “सीधे बैंक खाते में पैसा आता है.” पडोसी राम सिंह जोड़ते हैं, “ऊपर से २४ घंटे बिजली मिलती है, वह भी फ्री.” राम सिंह के घर के ऊपर बीजेपी का झंडा लगा हुआ है. गूगल बताता है कि वहां बीजेपी का दफ्तर है.
५९ साल से कम उम्र के किसी भी किसान की मृत्यु पर, भले ही वह किसी भी कारण से मरे, पांच लाख रूपये का बीमा मिलता है. प्रीमियम सरकार भरती है.
बंगाल, ओड़िसा, झारखण्ड जैसे कई राज्यों ने मिलती-जुलती योजनायें लागू की हैं. मुख्यमंत्री के पुत्र और उनकी पार्टी के वर्किंग प्रेसिडेंट केटी रामा राव का कहना है: “तेलंगाना आज जो सोचता है, देश कल उसे करता है.”
सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशी बढ़कर दो हज़ार रूपये हो गयी है. अल्पसंख्यक और पिछड़े समुदाय के गरीब बच्चों को आवासीय विद्यालय में रखने पर सरकार हर साल १.२० लाख रूपये खर्च करती है.
राज्य सभा सांसद तथा टीआरएस पालिट ब्यूरो के सदस्य के केशव राव बताते हैं: “राज्य की ३५ से ४० प्रतिशत आबादी को इन कल्याण योजनाओं का फायदा मिलता है.”
पर केसीआर सरकार केवल पैसे ही नहीं बांटती. उसने काम भी किया है, खासकर सड़क, बिजली, पानी के क्षेत्र में. फ्लाईओवर, उम्दा सड़कों और मेट्रो से संपन्न हैदराबाद का अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर देखते ही बनता है.
शहर की एक गरीब बस्ती में रहने वाले राजू कहते हैं, “सब लोगां के घर में पाइप से पानी आता.” ३५ हज़ार करोड़ रूपये खर्च कर सरकार पूरे राज्य में १.३० लाख किलोमीटर लम्बी पाइप का जाल बिछा रही है ताकि हर घर को नल से पानी मिल सके.
अचरज नहीं कि इसी हफ्ते आये एक सर्वे में केसीआर को देश का बेस्ट परफोर्मिंग सीएम घोषित किया गया है. सीवोटर के सर्वे में राज्य के एक-तिहाई से ज्यादा लोगों ने कहा कि वे केसीआर के काम से “बहुत संतुष्ट” हैं.
क्या यह संतोष टीआरएस के लिए एक बार फिर वोट में बदलेगा, जैसा कि तीन महीने पहले असेंबली इलेक्शन में हुआ था?
Dainik Bhaskar 1 April 2019

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