NK's Post

Resentment against hike in bus fare mounting in Bhopal

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NK SINGH Though a Govt. directive has frustrated the earlier efforts of the MPSRTC to increase the city bus fares by as much as 300 per cent, the public resent even the 25 per cent hike. It is "totally unjust, uncalled for and arbitrary", this is the consensus that has emerged from an opinion conducted by "Commoner" among a cross-section of politicians, public men, trade union leaders, and last but not least, the common bus travelling public. However, a section of the people held, that an average passenger would not grudge a slight pinche in his pocket provided the MPSRTC toned up its services. But far from being satisfactory, the MPSRTC-run city bus service in the capital is an endless tale of woe. Hours of long waiting, over-crowding people clinging to window panes frequent breakdowns, age-old fleet of buses, unimaginative routes and the attitude of passengers one can be patient only when he is sure to get into the next bus are some of the ills plaguing the city b...

तेलंगाना का दूसरा किसान विद्रोह: १७९ किसान लड़ रहे चुनाव

Dainik Bhaskar 8 April 2019

179 farmers in poll arena against Telangana CM’s daughter

NK SINGH

हैदराबाद: मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पुत्री कल्वकुंतला कविता ने कुछ दिनों पहले एक चुनावी सभा में कहा था कि तेलंगाना के एक हज़ार किसानों को बनारस और अमेठी जाकर नरेन्द्र मोदी और राहुल गाँधी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए ताकि प्रधानमंत्री को और कांग्रेस अध्यक्ष को मालूम पड़े कि खेती-किसानी करने वालों की हालत कितनी ख़राब है.
कविता निज़ामाबाद क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं और इस दफा फिर से अपने पिता की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. 
लगता है, किसानों ने उनके आह्वान को गंभीरता से लिया. पर १,१०० किलोमीटर दूर जाने की बजाय उन्होंने अपने घर निज़ामाबाद से ही नामांकन भर दिया.
नतीजा यह है कि पूरे राज्य से लोकसभा के लिए जितने उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, उनमें से लगभग आधे निज़ामाबाद से हैं.
निजामाबाद से १८५ उम्मीदवारों में १७९ किसान हैं.
वे केवल अपनी समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने चुनाव लड़ रहे हैं. “हल्दी का दाम इतना कम हो गया है कि एक एकड़ पर हमको ४०,००० रूपये का नुकसान हो रहा है,” उम्मीदवारों में से एक ताहेर बिन हमदान कहते हैं.
चुनाव आयोग निज़ामाबाद के लिए एक खास मॉडल की इवीएम मशीनें इकठ्ठा कर रहा है जिसमें सब १८५ नाम आ सकें.
तेलंगाना के किसान अपने विद्रोही स्वभाव और सत्ता विरोधी तेवर के लिए मशहूर हैं. जमींदारों और निज़ाम के खिलाफ १९४६-४८ के हथियारबंद किसान विद्रोह की याद अभी भी लोगों के जहन में है.
पर अब विद्रोह एक ऐसी सरकार के खिलाफ हो रहा है जो दावा करती है कि वह किसानों को इतने पैसे और सुविधाएँ दे रही है जो दूसरे राज्यों में सपना ही है.
खेतों के लिए पूरी तरह से मुफ्त बिजली के अलावा हर किसान को साल में ८,००० रूपये प्रति एकड़ की दर से ग्रांट दी जाती है. ५९ की उम्र के पहले मृत्यु होने पर उनके परिवार को पांच लाख रूपये का बीमा मिलता है.
तेलंगाना हल्दी की खेती के लिए मशहूर है. देश की एक-चौथाई से भी ज्यादा हल्दी यहीं पैदा होती है.
ये किसान एक लम्बे अरसे से मांग कर रहे थे कि एक राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का गठन किया जाये और हल्दी तथा लाल ज्वार का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाये.
हमदान के मुताबिक एक क्विंटल हल्दी उपजाने की लागत ७,००० रूपये आती है. पर मंडी में ५,००० का भाव मिल रहा है.
किसान खेत कांग्रेस के अन्वेष चुनाव लड़ने की वजह बताते हैं: “ट्रेडर कार्टेल बनाता, दाम गिराता, सरकार कुछ नहीं करता. किसान को पैसा नहीं मिलती. हमलोग रोड में बैठा. इसलिए इलेक्शन लड़ता.” \
जमानत के २५-२५ हज़ार रूपये किसानों ने आपस में चंदा करके इकठ्ठा किया है.
निज़ामाबाद से बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार भी मैदान में हैं.
कविता कहती हैं कि ऐसा नहीं कि उन्होंने पांच सालों में कुछ नहीं किया: “हमने पार्लियामेंट में कई दफा यह मामला उठाया.” हल्दी किसानों के हमले ने उनका रंग पीला कर दिया है.
हमदान का कहना है कि नॉमिनेशन वापस लेने के लिए टीआरएस ने किसानों पर दवाब बनाया था पर उन्होंने झुकने से इंकार कर दिया.
तेलंगाना के लोगों ने इसके पहले भी अपनी समस्या की तरफ ध्यान दिलाने के लिए थोक में नामांकन दाखिल किये थे. फ्लोराइड की समस्या से जूझ रहे नलगोंडा में १९९६ के लोकसभा चुनाव में ४८० कैंडिडेट मैदान में उतरे थे.
उस समय इलेक्शन कमीशन को बैलट के लिए ५०-पेज की पुस्तिका छपवानी पड़ी थी.
लगभग सबकी जमानत जब्त हुई, पर डेमोक्रेसी का जमीर बचा रहा.
Dainik Bhaskar 8 April 2019

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