Uma Bharti wants the top job in MP
NK SINGH
भाजपा की आग उगलने वाली नेता और केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री उमा भारती ने भोपाल नगर निगम (अध्यक्ष) के विवादास्पद चुनाव और उसके बाद हुई हिंसा में पार्टी पार्षदों की पिटाई के खिलाफ अपना आंदोलन पिछले शुक्रवार को जब वापस लिया, तो मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जरूर राहत की सांस ली होगी।
इस घटना की न्यायिक जांच कराने संबंधी घोषणा इस तेजतर्रार नेता को शांत करने की काफी कम कीमत है। आखिर इस घटना के गंभीर राजनैतिक संकट में बदलने के पूरे आसार थे।
प्रदेश भाजपा के नेता नौ दिनों की सरगर्मी के बाद घरों को लौट चुके हैं। और दिग्विजय के साथ परदे के पीछे चली बातचीत के एक प्रमुख सूत्रधार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सुंदर लाल पटवा नई दिल्ली लौट गए हैं। राज्य भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम वर्मा और विधानसभा में विपक्ष के नेता गौरीशंकर शेजवार खुश हैं कि उन्होंने ‘‘तानाशाह सरकार को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया।‘‘
केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा
मगर इस घटनाक्रम से भारती काफी नाराज हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल से भारती का इस्तीफा प्रधानमंत्री ने अभी भी स्वीकार नहीं किया है मगर वे मुख्यमंत्री निवास पर धरना देना चाहती थीं। लेकिन राज्य सरकार की पेशकश और पार्टी की रणनीति पर विचार करने के लिए गुरूवार को आयोजित तीन बैठकों में उन्होंने खुद को एकदम अकेला पाया।
केवल पटवा ही नहीं -- जिनका भारती से मनमुटाव जाहिर है -- बल्कि वर्मा और शेजवार समेत पार्टी के दूसरे नेता भी दिग्विजय से संदेश मिलने के बाद प्रस्तावित रैली को रद्द करने के पक्ष में थे। मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं को दूतों से संदेश भेजा था कि वे न्यायिक जांच को तैयार हैं।
बताया जाता है कि शुक्रवार की रैली के लिए जिसमें शामिल होने के लिए पार्टी सांसद और विधायक बड़ी संख्या में पहुंच चुके थे, इस भगवाधारी सन्यासिन की कुछ गुप्त योजनाएं थीं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह रैली स्थगित नहीं करना चाहती थी। मैं दिग्विजय सिंह को पाठ पढ़ाना चाहती थी।‘‘
राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन वापस लेने की घोषणा करने के लिए बुलाई गई बैठक में उन्होंने तीखे भाषण में कहा, ‘‘मध्य प्रदेश मेें भाजपा को भाजपा ही हराती है।" उन्होंने पार्टी की गुटबाजी की सार्वजनिक चर्चा की, और अपने भावी कार्यक्रम की भूमिका तैयार की।
पार्टी में गुटबाजी
इस चतुर चाल के जरिए उन्होंने न केवल पार्टी में दूसरे गुटों के पटवा, वर्मा और शेजवार जैसे स्थापित नेताओं को अपने तौर-तरीके सुधारने की चुनौती दी और गुटबाजी की राजनीति छोड़ने की सलाह दी, बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिल भी जीत लिया, जो पार्टी में व्याप्त गुटबाजी से त्रस्त हैं।
वे संगठन के लिए काम करना चाहती हैं। समझा जाता है कि पिछले सप्ताह उन्हें सुझाया गया था कि वे प्रदेश भाजपा की कार्यकारी अध्यक्ष बनाई जा सकती हैं। लेकिन वे अध्यक्ष पद नहीं चाहती और अपने पुराने भारतीय जनता युवा मोर्चा के लिए काम करना चाहती हैं। भारती यह भी चाहती हैं कि उनके इस्तीफे को मंजूर कर लिया जाए।
उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, ‘‘मैं अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को नहीं दूंगी क्योंकि मैं पार्टी अनुशासन का उल्लंघन नहीं करना चाहती, लेकिन मैं यह भी चाहती हूं कि प्रधानमंत्री मेरा इस्तीफा मंजूर कर लें।"
सरकार छोड़ने के पीछे उनकी महत्वकांक्षा है। प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने की उनकी इच्छा एक खुला राज है। पिछले एक सप्ताह के दौरान उन्होंने संगठन क्षमता का प्रदर्शन भी किया। एक पूर्व मंत्री ने, जो भारती को पसंद नहीं करते, कहा, ‘‘मानना पड़ेगा कि उन्होंने पार्टी को एकजुट कर दिया।‘‘
प्रदेश में नए सितारे का इंतजार
इस सप्ताह वे दस्युग्रस्त चंबल क्षेत्र का दौरा करने वाली हैं, जहां पिछले तीन महीने में अपहरण की काफी घटनाएं हुई हैं। दूसरे भाजपा नेताओं के खामोश रहने की वजह से किसी भी विपक्षी नेता को सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने का पूरा मौका है। ऐसे में कोई भी सरकार विरोधी ताकतों के लिए स्वतः ही नेता बन जाएगा।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रभात झा कहते हैं, ‘‘एक खालीपन था और उमा भारती महज उसी खालीपन को भर रही हैं।‘‘ 39 वर्षीया भारती के पक्ष में कई बातें हैं। वे पिछड़ी जाति की हैं। आरएसएस से भी उनके अच्छे संबंध हैं। जाहिर है, प्रदेश नए सितारे के उगने का इंतजार कर रहा है।
India Today (Hindi) 2nd February 2000
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