Governor stops ads of Dainik Bhaskar
NK SINGH
प्रेस को दबाने के कई हथकंडे हैं। मध्य प्रदेश के राज्यपाल मुहम्मद शफी कुरैशी ने पिछले महीने राज्य के एक बड़े समाचार पत्र समूह - दैनिक भास्कर को राज्य सरकार के विज्ञापन देने पर रोक लगा दी।
विज्ञापनों पर रोक का कोई औपचारिक आदेश नहीं है, लेकिन समूह के नौ अखबारों में छपे आठ लाख रू. के विज्ञापनों का भुगतान भी स्थगित रखा गया है।
उनका जुर्म यही है कि उन्होंने दो ऐसे समाचार छापे थे जिनसे राज्यपाल और उनके एक सलाहकार ए.के. पंड्या की उज्जवल छवि नहीं उभरती थी।
सरकार की कार्रवाई में भास्कर समूह के अंग्रेजी दैनिक ‘नेशनल मेल‘ को विज्ञापन देने पर रोक लगाना भी शामिल है, हालांकि इस अखबार ने उन रिपोर्टों को प्रकाशित भी नहीं किया था।
भारतीय पत्रकार संघ (आई एफ डव्लू जे) की मध्य प्रदेश इकाई के संयोजक अलिक वज्मी कहते हैं, ‘‘राज्य में ऐसा षायद पहली बार हुआ है जब सरकार ने किसी अखबार को विज्ञापन देना पूरी तरह बंद कर दिया।‘‘
चार महीने पहले राज्यपाल कुरैशी ने अभी पद संभाला ही था कि दैनिक भास्कर के संस्करणों में यह खबर छपी कि सहकारिता विभाग के एक अधिकारी को राज्यपाल के भेजे फैक्स संदेश पर सेवा वृद्धि दे दी गई है।
दैनिक भास्कर के इस निराधार दावे ने कुरेैशी को विचलित कर दिया कि पाकिस्तान के अपने एक रिश्तेदार का फोन आने के बाद उन्होंने सेवा वद्धि का आदेश दिया।
अखबार ने बाद में इस पर खेद प्रकट किया। लेकिन इतने से कुरैशी का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ।
दैनिक भास्कर के खिलाफ इस फैसले के पीछे एक और विवाद जुड़ा है। अखबार में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया कि पंड्या ने इंदौर की सरकारी यात्रा ऐसे समय की जब उनकी पत्नी वहां पौधों की प्रर्दशनी में भाग ले रही थीं।
बताया जाता है कि पंड्या ने कुरैशी से भेंट कर के मामला प्रेस कौंसिल में ले जाने की मांग की, हालांकि उन्होंने ‘इंडिया टुडे‘ से कहा, ‘‘मैं इस विवाद के बारे में कुछ नहीं जानता।‘‘
पांच लाख रू. प्रतिमाह के सरकारी विज्ञापन हालांकि समूह के कुल विज्ञापन राजस्व का मात्र 10 फीसदी हैं, पर यह महज आर्थिक मामला नहीं है।
समूह के मालिक रमेश अग्रवाल कहते है कि "असली मुद्दा यह है कि क्या कोई सरकार किसी अख़बार के विज्ञापन महज इस बिना पर रोक सकती है कि वह अखबार में छपी रिपोर्टों से नाखुश हैं।‘‘
वे इस फैसले के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की सोच रहे हैं। इस बीच अखबार ने राज्यपाल के खिलाफ जबरदस्त अभियान छेड़ दिया है।
विज्ञापन रोकने का फैसला अदूरदर्षितापूर्ण है क्योंकि राज्य में 24 से 27 नवंबर तक चुनाव होने वाले हैं।
जब नेतागण अखबारों का दिल जीतने में लगे हैं, राज्यपाल तलवार भांज रहे हैं, यह जानते हुए कि भास्कर समूह कलम के जोर पर ही तगड़ा मुकाबला कर रहा है।
India Today (Hindi) 31 October 19993
nksexpress@gmail.com
Tweets @nksexpresss
Comments
Post a Comment
Thanks for your comment. It will be published shortly by the Editor.