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Bail for Union Carbide chief challenged

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NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

कोयला नहीं, एनएच की सड़कें ख़राब: शिवराज

सत्तारोहण के सातवें साल के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बातचीत


नरेन्द्र कुमार सिंह 




तीन साल पूर्व शिवराज सिंह की अगुआई में भाजपा मप्र में सत्ता में लौंटी थी, तो वह उनके जीवन का शायद सबसे चमत्कारी पल था। कांग्रेस का मानना था कि दागदार मंत्रियों के बोझ तले भाजपा बुरी तरह हारेगी। पर शिवराज न सिर्फ सत्ता में आए, बल्कि उमा भारती की पार्टी को धूल चटाकर साबित कर दिया कि वे कद्दावर नेताओं में शुमार हो चुके हैं। आज वे मुख्यमंत्री के रूप में छह वर्ष पूरे कर रहे हैं। यदि उन्हें संतोष है, तो इसलिए कि चुनौती देने वाला कोई नहीं है। सत्तारोहण के सातवें साल पर उनसे बातचीत के चुनिंदा अंश:

 1. अपने छह साल के कार्यकाल को जब आप देखते हैं तो क्या महसूस करते हैं?

• काफी कुछ किया, पर फिर भी करने को काफी कुछ बाकी है।

2. क्या किया और क्या बाकी है?

• मध्यप्रदेश जैसे राज्य के लिए यह गौरव की बात है कि हम 10 प्रतिशत की ग्रोथ रेट तक पहुंच पाए। हमारी एग्रीकल्चर की ग्रोथ रेट नौ प्रतिशत है। देश की ग्रोथ रेट तीन प्रतिशत है। मतलब लगभग तीन गुना। हमने तय किया था कि खेती को फायदे का धंधा बनाना है। उत्पादन दुगना हो गया है। हम गेहूं के उत्पादन में तीसरे स्थान पर आ गए पंजाब और हरियाणा के बाद। कृषि केबिनेट का गठन किया। इसकी वजह से खेती से जुड़े दूसरे सेक्टर मसलन पशुपालन, मत्स्यपालन, हार्टिकल्चर पर काफी काम हुआ। सिंचाई की क्षमता हमने आठ लाख हेक्टेयर से ज्यादा बढ़ाई है। कुछ बांध तो 30-30 साल से अधूरे पड़े हुए थे।

3. भाजपा ने सड़क और बिजली के मुद्दों पर कांग्रेस से सत्ता छीनी थी। पर इन दोनों मुद्दों पर मध्यप्रदेश खराब हालत में है।

• बिजली का उत्पादन दो गुना हुआ है, लेकिन उसी तरह खपत भी बढ़ी है। उसे पूरा करने के लिए दो पावर प्लांटस बन रहे हैं। फीडर अलग करने का काम चल रहा है। गांव का फीडर अलग और खेती का अलग। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि हम 2013 तक 24 घंटे बिजली देने का अपना वायदा पूरा कर पाएंगे। बिजली उत्पादन में एक बड़ी दिक्कत कोयले को लेकर है। हमें पूरा कोयला नहीं मिलता है। कब तक चिल्लाएंगे? हमने तय किया है कि कोयला इम्पोर्ट करेंगे। अभी आपने देखा होगा कि हमने इंडोनेशिया से कोयला मंगाया है।

4. ....... और सड़कें?

• सड़कों को लेकर ज्यादा समस्या नहीं है। ज्यादा सड़कें इस दफा बारिश में खराब हुई । नेशनल हाईवे को केन्द्र सरकार बार-बार कहने पर भी नहीं बनवा रही है। हमने उनसे कहा था कि वे नेशनल हाइवे को डिनोटिफाई कर दें। हम बनवा लेंगे। वे कुछ नहीं कर रहे। लगता है हमें ही अपने बजट से नेशनल हाईवे की भी मरम्मत करवाना पड़ेगी। मैंने कहा है 125 करोड़ रूपए इसके लिए अपने बजट से दे दें। कब तक इंतजार करेंगे? बात सुनने में अजीब लग सकती है पर क्या करें? हम लोग सब तरफ हो आए। पीएम से लेकर मंत्री तक, एनडीसी से लेकर प्लानिंग कमीशन तक।

5. आपको क्या लगता है, ऐसा क्यों हो रहा है?

• मुझे यह रोड़े पालिटिकल लगते है। जनता यह नहीं समझती कि नेशनल हाईवे है या स्टेट हाईवे। खराब है तो खराब है। ज्यादा यातायात तो नेशनल हाईवे से ही गुजरता है, और उनकी हालत सबसे ज्यादा खराब है।

6. आप खेती को लेकर, ग्रोथ रेट को लेकर मध्यप्रदेश की उपलब्धियां बता रहे हैं, पर आप अगर एक दूसरे भाजपा शासित प्रदेश गुजरात को देखें, तो शायद हम बहुत पीछे रह गए हैं।

• गुजरात की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। उनकी अपने विषेषताएं हैं। पर आज यह मैं गर्व से कह सकता हूं कि 10 प्रतिशत ग्रोथ रेट मध्यप्रदेश जैसे राज्य के लिए पहली बार हुआ है। हमारी ग्रोथ रेट तीन प्रतिशत-चार प्रतिशत से आगे कभी नहीं बढ़ी। कई बार तो माइनस भी रही है। रोड़े अटकाए जाते हैं। जब आप सामान्य संबंध बनाना चाहते हैं तो भी पालीटिकल दृष्टिकोण आड़े आता है।

7. कई फैसले आप संघ की छाया में करते हैं। मसलन किसान आंदोलन पर फैसला या पाठ्यक्रम में गीता लगाने का फैसला?

• मैंने कभी भी कोई फैसला इसलिए नहीं किया क्योंकि संघ ने मुझे कहा। संघ भी पालीटिकल कामों में हस्तक्षेप नहीं करता है।

8. संघ के अलावा आप पार्टी को भी जरूरत से ज्यादा तवज्जो देते हैं?

देना ही चाहिए। पार्टी की सरकार है। संगठन को तवज्जो देना अच्छी बात है। पार्टी की सरकार है। पार्टी की नीतियां भी सरकार मंछ आना चाहिए।

9. पर प्रशासनिक मामले क्यों पार्टी को जाना चाहिए? 

 • यह गलत है कि मैंने कभी कोई प्रशासनिक मामला पार्टी को दिया है।

10. गौरीशंकर बिसेन का मामला है?

• उन्होंने अगर कार्यकर्ता के नाते कुछ कहा, तो उन्होंने गलत कहा था सही कहा यह तो परिवार के भाव से हमें देखना होगा।

11. आप के कई मंत्री और वरिष्ठ नेता खुलेआम बोलते रहते हैं, सरकार के कामकाज पर टिप्पणियां करते हैं?

• ऐसी बात तो नहीं है। एक जमाना था जब ऐसे बयान आते थे कि दिग्विजय के तंदूर में जल रहे हैं। किसी ने कोई बात किसी अलग संदर्भ में कही और उसको किसी घटना से जोड़ लेते हैं तो एक बड़ी खबर बन जाती है। मैं मानता हूं कि किसी का इन्टेन्शन खराब नहीं है। जो कुछ भी बोला गया है, उसके पीछे की भावना देखना चाहिए । कोई शब्द निकल गया, उस शब्द को किसी और संदर्भ से जोड़कर देखा, तो अलग बात बन जाती है।
People Samachar, 29 November 2011

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