NK's Post

Bail for Union Carbide chief challenged

Image
NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

मध्य प्रदेश में विरासत की राजनीति


Sons of CMs in MP politics


नरेन्द्र कुमार सिंह


मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के पहले १५ मुख्यमंत्री हो चुके हैं. इनमें एक भी ऐसा नहीं था जिसके पुत्र या निकट सम्बन्धी राजनीति में न गए हों.

राज्य कांग्रेस का मौजदा नेतृत्व अभी ऐसे लोगों के हाथ में है जो अपने खानदान में दूसरी या तीसरी पीढ़ी के नेता हैं.

प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह अपने खानदान में तीसरी पीढ़ी के नेता हैं. उनके पिता अर्जुन सिंह तीन दफा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और दादा शिव बहादुर सिंह तत्कालीन विन्ध्य प्रदेश में मिनिस्टर थे.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के पिता सुभाष यादव डिप्टी चीफ मिनिस्टर थे.

प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का तो पूरा परिवार ही तीन पीढ़ियों से राजनीति में रमा है.

दादी विजयाराजे सिंधिया से शुरू यह सियासी सफ़र इस राज परिवार को इतना भाया कि उनके एकलौते बेटे माधवराव सिंधिया के अलावा दो बेटियां, वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया भी उसी राजमार्ग पर चल पड़ी. 

वसुंधरा अभी राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं और यशोधरा मध्य प्रदेश में मंत्री. उनकी मामी माया सिंह भी शिवराज सरकार में मिनिस्टर है. उनके पहले मामाजी, ध्यानेन्द्र सिंह, भी मिनिस्टर रह चुके हैं. 

पिता करते हैं बेटों को प्रमोट    

ज्यादातर मामलों में पिता अपने बेटों को प्रमोट करते रहे हैं. 

भूतपूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने अपने बेटे दीपक जोशी को नेता बनवाया. दीपक अब मिनिस्टर हैं.

दो दफा मुख्यमंत्री रह चुके सुन्दरलाल पटवा ने अपनी सियासी विरासत अपने दत्तक पुत्र सुरेन्द्र पटवा को सौंपी. वे भी मिनिस्टर हैं.

कांग्रेस के मोतीलाल वोरा दो दफा मुख्यमंत्री रहने के अलावा केंद्र में मंत्री और गवर्नर रह चुके हैं. उन्होंने अपने बेटे अरुण वोरा को विधायक बनवाने के लिए बहुत पापड़ बेले.

दो दफा मुख्यमंत्री रह चुके  दिग्विजय सिंह ने अपने बेटे जयवर्धन सिंह को एमएलए की अपनी सीट सौंप दी और भाई लक्ष्मण सिंह को भी लोक सभा और विधान सभा दोनों जगह भेजने में मदद की.

दिग्विजय की चाणक्य बुध्धि 

यह जरूरी नहीं कि सियासी खानदान को परिवार के लोग ही स्थापित करें. बाहरवाले भी कर सकते हैं, जैसा कि दिग्विजय सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री श्यामा चरण शुक्ल के बेटे के मामले में किया था.

अमितेश शुक्ल राजनीति में जाना चाहते थे, पर श्यामा चरणजी उसको नजरंदाज़ करते थे. दिग्विजय सिंह उन्हें राजनीति में लेकर आये. मकसद था शुक्ल परिवार में घुसपैठ करना और साथ ही शुक्लाओं के पारंपरिक दुश्मन अर्जुन सिंह को कमजोर करना. अमितेश बाद में छत्तीसगढ़ में मिनिस्टर बने.

वे भी अपने परिवार के तीसरी पीढ़ी के नेता हैं. दादा रवि शंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे, पिता श्यामाचरण दो दफा मुख्य मंत्री रह चुके थे और चाचा विद्याचरण शुक्ल केंद्र की राजनीति के बड़े खिलाडियों में शुमार होते थे.

एक और चीफ मिनिस्टर राजा नरेशचंद्र सिंह थे जिनका पूरा खानदान ही सियासत में रहा है. पिछले ६७ साल में इस पूर्व राज परिवार के पांच सदस्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केंद्र की राजनीति में विभिन्न पदों पर रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री गोविन्द नारायण सिंह के एक बेटे हर्ष सिंह भोपाल में मिनिस्टर है और दुसरे बेटे ध्रुव नारायण सिंह भाजपा के एमएलए रह चुके हैं.

एक अपवाद    

एक मुख्यमंत्री के पुत्र अवश्य ऐसे हुए हैं जिन्होंने बिना पिता की मदद के सूबे की सियासत में अपनी जगह बनायीं. वे हैं वीरेन्द्र कुमार सखलेचा के बेटे ओमप्रकाश सखलेचा, जो अभी भाजपा विधायक हैं.

पर ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने आगे बढ़ कर अपने बेटों की मदद की. भगवंतराव मंडलोई अपने बेटे और पुतोहू को राजनीति में लाये.

मंडलोई के बाद कैलाश नाथ काटजू आये. उनके पुत्र शिव नाथ काटजू उत्तर प्रदेश के फूलपुर से कांग्रेस विधायक थे और बाद में वहीँ विधान परिषद् में अध्यक्ष. 

लौहपुरुष कहलाने वाले कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र ने चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिए जाने के बाद अपने भाई सत्येन्द्र मिश्र को विधायक बनवाया.

प्रकाश चंद सेठी का कोई लड़का नहीं था, पांच लड़कियां थीं. उनके एक दामाद अशोक पाटनी कांग्रेस के नेता थे और एक दफा उन्होंने चुनाव भी लड़ा था. 

भाजपा की उमा भारती ने अपने भाई स्वामी लोधी को न केवल एमएलए बनवाया बल्कि मुख्यमंत्री रहते हुए एक कारपोरेशन का चेयरमैन भी नियुक्त किया.

शिवराज सिंह के पहले मुख्यमंत्री रह चुके बाबूलाल गौर ने अपनी पुत्रवधू कृष्णा गौर को भोपाल का मेयर बनवाकर अपनी सियासी विरासत सौंपी.

लिस्ट लम्बी है, और समय के साथ और लम्बी होती जाएगी.

Published in Tehelka (Hindi) of 28 February 2018 

Tweets @nksexpress



Comments