NK's Post

Resentment against hike in bus fare mounting in Bhopal

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NK SINGH Though a Govt. directive has frustrated the earlier efforts of the MPSRTC to increase the city bus fares by as much as 300 per cent, the public resent even the 25 per cent hike. It is "totally unjust, uncalled for and arbitrary", this is the consensus that has emerged from an opinion conducted by "Commoner" among a cross-section of politicians, public men, trade union leaders, and last but not least, the common bus travelling public. However, a section of the people held, that an average passenger would not grudge a slight pinche in his pocket provided the MPSRTC toned up its services. But far from being satisfactory, the MPSRTC-run city bus service in the capital is an endless tale of woe. Hours of long waiting, over-crowding people clinging to window panes frequent breakdowns, age-old fleet of buses, unimaginative routes and the attitude of passengers one can be patient only when he is sure to get into the next bus are some of the ills plaguing the city b...

हेलीकाप्टर वाले मामाजी

MP Chief Minister rarely travels by road


So they call him helicopter wale mamaji


नरेन्द्र कुमार सिंह



आओ बच्चो खेलें खेल
चिड़िया उड़ , तोता उड़ , मामा उड़ ......

मध्यप्रदेश की सरकार ने हाल ही में 2 लाख 20 हज़ार रुपये प्रति घण्टे की दर से एक जेट हवाई जहाज एक साल के लिए किराये पर लेने का फैसला किया है। सरकार ने इस जहाज को हर महीने कम से कम 30 घण्टे की उड़ान भरने की गारंटी दी है । यानी सरकार जहाज के मालिक को 66 लाख रुपये हर महीने देगी, चाहे उस महीने उसका जहाज एक घण्टा भी हवा में उड़े न उड़े।

हवाई उड़ान के मामलों में हमारे प्रदेश में 1999 में बने कानून कायदे कहते हैं कि आकस्मिक हालात में किसी भी प्राइवेट प्लेन को किराए पर लिया जा सकता है। नियमावली में ये आकस्मिक हालात साफ साफ दर्ज हैं। जैसे राज्य का अपना विमान उड़ने की हालत में न हो या अगले छह घण्टों तक उसके उपलब्ध हो पाने की संभावना न हो या फिर कोई प्राकृतिक आपदा के चलते इमरजेंसी आन खड़ी हो।

यों सरकार के पास उसका अपना हवाई बेड़ा है। इसमें एक प्लेन और तीन हेलीकाप्टर शामिल हैं। हाजिर भाव में इन चारों की कीमत कोई 152 करोड़ लगाई जाती है। लेकिन सरकार इनमें से एक थोड़ा पुराना हो चुका हेलीकाप्टर बेच देना चाहती ह । इसलिए फिलहाल नौ सीट वाले अपने इकलौते हवाई
जहाज और बाकी बचे दो हेलीकॉप्टरों से ही उसे काम चलाना पड़ रहा है। जहाज में छह और चॉपर में चार मुसाफिरों को जगह मिल जाती है। इस हवाई बेड़े को 50 कर्मचारी सम्भालते हैं। इनमे आधा दर्जन तो पायलट ही हैं। उड़नखटोलों के इन अहलकारों को प्रदेश का करदाता अपनी जेब से रोजाना 9 लाख 70 हज़ार रुपये दे रहा है तो सिर्फ इसलिए कि हमारे आक़ा अपनी बांकी अदा लिए जरा आराम से ही उड़ा फिरा करें।

इतने बड़े इस सरकारी तामझाम में अपने जहाजों के होते हुए भी एक समूचा उड़नखटोला किराये पर लेकर उड़ते फिरने जैसी छोटी छोटी बातें होती ही रहती हैं। सरकार ने इसी साल अपनी चार्टर्ड उड़ानों के लिए 12 करोड़ का बजट प्रावधान रखा है। दो साल पहले तक यह सिर्फ 5 करोड़ हुआ करता था। सरकार को शायद लगता हो कि स्टेट हैंगर में खड़े छोटे बड़े इन तीन उड़नखटोलों से उसकी जरूरत अब पूरी नहीं होती।

अपने अधिकांश पूर्ववर्तियों की तरह ही हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी तभी सड़क पर आते हैं जब खराब मौसम उन्हें उड़ने नहीं देता। सड़क यात्रा करते हुए मुख्यमंत्री के दर्शन दुर्लभ हैं । उन्हें भोपाल से विदिशा भी उड़ कर पहुंच जाना ही सुविधाजनक लगता है। सड़क मार्ग से यह दूरी बाकी तमाम रोजमर्रा यात्रियों के लिए महज एक घण्टे में पूरी हो जाती है।

मुख्यमंत्री अगर हर जगह मौजूद रहना चाहते हैं तो यह कोई अचरज की बात नहीं है। देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य में भी वे एक ही समय में चार अलग अलग जगहों पर अपनी मौजूदगी का संभ्रम रच सकते हैं।

उदाहरण के लिए, पिछली 2 जुलाई को ही देख लें, जब हमारा प्रदेश एक ही दिन में 6 करोड़ पेड़ लगाने का कीर्तिमान रचने चला, वे तडके उठकर भोपाल से अमरकंटक के लिए उड़े और उड़ते हुए ही दोपहर तक जबलपुर आ चुके थे। दोपहर बाद वे सीहोर में थे और भोपाल वापिस आकर सोने से पहले वे शाम को ओंकारेश्वर के दर्शन भी कर आये थे। अपने जीवन के इस एक दिन में ही वे अपने विशाल राज्य की लंबाई-चौड़ाई, सभी कुछ, नाप चुके थे। और इस तरह यह दिन चौहान साहब के जीवन का एक खास दिन बन गया।

अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत में लंबी लंबी पदयात्राओं में पैदल ही चलकर "पांव पांव वाले भैया" का तमगा जीतने वाला योद्धा अब "हेलीकाप्टर वाला मामा" बन गया है।

अपने शरीर को लगातार कष्ट देते रहने की यह दिनचर्या मामूली नहीं है । शिवराज के घोर आलोचक भी मानते हैं कि उन पर काम करते रहने का नशा है। वे रोज 18 घण्टे काम करते हैं। इस कदर काम काम करते उनका व्यक्तिगत जीवन भी राजनीतिमय हो चला है। उनके ये दोनों चेहरे अब इतने एकमेक हैं कि उन्हें अलग अलग देख पाना नामुमकिन है।

जब कभी उन्हें अपने किसी राजनैतिक साथी के परिवार से किसी शादी ब्याह का न्यौता मिलता है, वे फौरन सरकारी उड़नखटोला तलब कर लेते हैं। पिछली जनवरी में उन्होंने ऐसे ही एक आमंत्रण पर भाजपा विधायक के घर मंदसौर जाने के लिए उड़ान भरी थी। इस उड़ान में उनके साथ भाजपा के संगठन मंत्री सुहास भगत भी थे। किसी ने यह सवाल नहीं उठाया कि यह उड़ान सरकारी हुई या निजी।

चौहान ऐसा करने वाले अकेले मुख्यमंत्री नहीं हैं. अब तमाम मुख्यमंत्री ऐसा ही करते हैं। इसलिए अब कोई भौएं नहीं उठती जब वे भाजपा कार्यकारिणी की बैठक जैसे सरासर गैर सरकारी काम के लिए भी सरकारी उड़नखटोले को तलब कर लेते हैं।
अब तो चौहान साहब सपरिवार छुट्टी मनाने के लिए भी सरकारी प्लेन से ही जाना पसंद करने लगे हैं। पिछले साल वे छुट्टियों पर सपरिवार कर्नाटक गए थे और वापिसी में उनका परिवार शिरिडी और नाशिक में भी मत्था टेक आया। अपनी शादी की सालगिरह पर भी वे और उनकी श्रीमतीजी महाकाल के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए उज्जैन की उड़ान भर चुके हैं। भोपाल से सटे विदिशा में उनकी खेती बाड़ी हो या पड़ोसी जिले सीहोर में उनका पुश्तैनी घर, अब हर जगह वे उड़ कर ही जाते हैं।

लेकिन इस अलबेली अदा के मारे वे कोई पहले मुख्यमंत्री नहीं हैं। प्रकाशचन्द्र सेठी ने दिल्ली जाकर अपना विमान सिर्फ इसलिए भोपाल वापिस भेजा था कि उनके कपड़ों की अटेची वहीं छूट गयी थी। मोतीलाल वोरा हाइकमांड की खुशी के लिए जब तब दिल्ली के नेताओं की सेवा में विमान उपलब्ध करा देते थे। बेचारे पायलट दिल्ली से भोपाल और मध्यप्रदेश में ही नहीं, राज्य के बाहर भी फेरी लगा लगा कर थक चुके थे। माधवराव सिंधिया तो अक्सर ही दिग्विजय सिंह को फोन लगाकर अपने लिए एक विमान ग्वालियर ही मंगा लेते थे।

राजा, आखिर राजा ही होता है। हमेशा। 

Powers That be, my column in DB Post of 16 July 2017
अनुवाद: राजेन्द्र शर्मा
Translated from English by Rajendra Sharma
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