NK's Post

Bail for Union Carbide chief challenged

Image
NK SINGH Bhopal: A local lawyer has moved the court seeking cancellation of the absolute bail granted to Mr. Warren Ander son, chairman of the Union Carbide Corporation, whose Bhopal pesticide plant killed over 2,000 persons last December. Mr. Anderson, who was arrested here in a dramatic manner on December 7 on several charges including the non-bailable Section 304 IPC (culpable homicide not amounting to murder), was released in an even more dramatic manner and later secretly whisked away to Delhi in a state aircraft. The local lawyer, Mr. Quamerud-din Quamer, has contended in his petition to the district and sessions judge of Bhopal, Mr. V. S. Yadav, that the police had neither authority nor jurisdiction to release an accused involved in a heinous crime of mass slaughter. If Mr. Quamer's petition succeeds, it may lead to several complications, including diplomatic problems. The United States Government had not taken kindly to the arrest of the head of one of its most powerful mul...

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गौशाला, हिंदी विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार केंद्र

नरेन्द्र कुमार सिंह


शिक्षा के क्षेत्र में मध्य प्रदेश नवाचार के नए झंडे गाड़ रहा है. इनमें सबसे ताजा है, भोपाल स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गौशाला खोलने का निर्णय. इस अनूठी योजना के जनक हैं यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर बृज किशोर कुठियाला, जो एक अतिशय उर्वरक मष्तिष्क के मालिक प्रतीत होते हैं. उनकी अगुयाई में पिछले कुछ सालों में इस पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नवाचार के कई कीर्तिमान स्थापित हुए हैं. उनके मुरीद अब उम्मीद करते हैं कि यूनिवर्सिटी में गौशाला खोलने की योजना इस संस्थान को नयी उंचाईयों पर ले जाएगी.

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश सरकार का संस्थान है. इसकी स्थापना मध्य प्रदेश सरकार के एक अधिनियम द्वारा की गयी है. पिछले दिनों यूनिवर्सिटी ने बाकायदा एक टेंडर नोटिस छापकर गौशाला खोलने की मंशा जाहिर की. उससे पता चला कि भोपाल में बन रहे पचास एकड़ में फैले अपने नए कैंपस का दसवां हिस्सा यूनिवर्सिटी ने गाय पालने के लिए रिज़र्व कर रखा है. नक़्शे के मुताबिक कैंपस के अगले हिस्से में पढाई होगी, बीच के हिस्से में शिक्षक और भावी पत्रकार रहेंगे तथा पीछे की तरफ पशु निवास करेंगे.

वाईस चांसलर महोदय की सोच है कि इस गौशाला से कैंपस पर रहने वाले लोगों को असली दूध और ताजा दही मिलेगा और गोबर से गैस के अलावा खाद भी मिलेगा, जो सब्जियां उगाने के काम आएगा. दूध ज्यादा हुआ तो बाज़ार में बेचकर विश्वविद्यालय थोड़े बहुत पैसे भी कमा लेगा. वे याद दिलाते हैं कि प्राचीन काल में नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविख्यात शिक्षा केंद्र ने केवल अपनी गौशाला रखते थे बल्कि दूसरी जरूरतों के लिए भी आत्मनिर्भर होते थे. राष्ट्रवादी विचारधारा के कुठियाला की गौशाला में केवल देशी नस्ल की गायें पलेंगी और विदेशी नस्लों का प्रयोग वर्जित होगा.

गौसंवर्धन और पत्रकारिता के बीच सेतु का काम करने वाली इस योजना का खुलासा होते ही प्रशंषकों ने तारीफ़ के पुल बांधना शुरू कर दिए. कुछ पत्रकारों ने, जैसा कि उनकी आदत है, यह कहते हुए आलोचना की कि पत्रकारिता यूनिवर्सिटी का काम गाय पालना नहीं है. पर जल्दी ही यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी इन विघ्नसंतोषी तत्वों के के खिलाफ लामबंद हो गए और कैंपस पर गायों को पालने के पक्ष में उन्होंने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया. मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नंदकिशोर सिंह चौहान ने कहा, “यह एक अनूठा आईडिया है और पहली दफा कोई शैक्षणिक संस्थान हमारी प्राचीन परंपरा का पालन कर रहा है.” मध्य प्रदेश में उनकी पार्टी की ही सरकार है.

पत्रकारिता को लेकर कुठियाला की अगुयायी में यूनिवर्सिटी ने कई क्रांतिकारी शोध किये हैं. विख्यात पत्रकार और भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके अरुण शौरी पत्रकारिता से सम्बंधित एक प्रोग्राम में भोपाल आये थे. वाईस चांसलर महोदय के इन्किलाबी फतवों को सुनकर उनका मुँह खुला का खुला रह गया. पत्रकारिता और हिन्दू पौराणिक आख्यानों को जोड़ने की दिशा में यूनिवर्सिटी ने काफी रिसर्च किया है. मसलन, उसने साबित कर दिया है कि नारद मुनि दुनिया के पहले पत्रकार थे. उसने पत्रकारों को यह ज्ञान भी परोसा है कि हनुमानजी एक रिपोर्टर थे. पत्रकारों की भावी पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए कैंपस में नारदजी की एक मूर्ति भी स्थापित की गयी है.

इतने बड़े काम करने के बाद भी कुठियाला इतने विनम्र हैं कि गौशाला की स्थापना में अपने योगदान को वह छिपाने की कोशिश करते हैं. एक अख़बार को उन्होंने बताया कि गौशाला का आईडिया वास्तव में एक आर्किटेक्ट को ओर से आया था. पर नए कैंपस का नक्शा बनाने वाले इंजीनियर बताते हैं कि लेआउट बनाने के पहले यूनिवर्सिटी की तरफ से उनको जो विश लिस्ट दी गयी थी उसमें गौशाला भी शामिल थी. प्रस्तावित कैंपस की योजना में हिस्सा लेने वाले एक आर्किटेक्ट ने कहा, “शुरुआत में ही हमें बता दिया गया था कि कैंपस पर एक गौशाला भी बनेगी.”

गौमाता के प्रति कुठियाला के रुझान को देखकर कुछ आर्किटेक्ट तो इतने प्रभावित हो गए थे कि वे एक से एक अनोखे आईडिया लेकर आ गए. उन्हें अगर जमीन पर उतार सकते तो नया कैंपस एक किस्म का टूरिस्ट स्पॉट बन जाता. सात्विक भावना में बहकर एक आर्किटेक्ट ने ॐ आकार का कैंपस सुझाया. एक अन्य आर्किटेक्ट ज्यादा व्यव्हारिक निकला. उसने कमल के आकार की बिल्डिंग की कल्पना की. पर प्रभु की लीला कुछ ऐसी रही कि दोनों प्रस्ताव इस आधार पर ख़ारिज हो गए कि उन्हें बनाने पर बजट से लगभग १०० करोड़ रूपये ज्यादा खर्च हो जाते.

ऐसा नहीं कि कुठियाला अपने संघ कनेक्शन छुपाने की कोशिश करते हैं. वे उसे तमगे की तरह पहनते हैं. भोपाल में आरएसएस के मीडिया सेंटर, विश्व संवाद केंद्र में वे अक्सर देखे जाते हैं. केरल में संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या के खिलाफ भोपाल के एक चौराहे पर जब पिछले दिनों धरना-प्रदर्शन हुआ तो कुठियाला ने उसमें खुले आम हिस्सा लिया. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब हाल में भोपाल आये तो पार्टी ने उनसे मिलने शहर के खास लोगों की एक बैठक आयोजित की. उसमें भी वे मौजूद थे.

शिक्षा में आई कांग्रेसी और वामपंथी ‘विकृतियों’ को उखाड़ फेंकने का उन्होंने बीड़ा उठा रखा है. माखनलाल यूनिवर्सिटी ने पिछले दिनों अपनी पढाई से नेहरु के सोशलिज्म को निकाल बाहर किया और उसकी जगह दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद का अध्ययन शुरू कर दिया. एक परीक्षा में तो कुछ इस तरह के प्रश्न पूछे गए: “जनसंघ के संस्थापक कौन हैं”, “एकात्म मानववाद की अवधारणा किसकी है”, किस राजनेता का जन्म २५ दिसम्बर को हुआ था”.

मध्य प्रदेश की शिक्षा में नवाचार के झंडे गाड़ने वालों में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अकेले नहीं है. भोपाल में ही एक अन्य सरकारी संस्थान है, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय. हिंदी में पढाई लिखाई को बढ़ावा देने के लिए बनी इस यूनिवर्सिटी ने तो गजब ही कर दिया है. यह एक गर्भ संस्कार केंद्र चलाती है. गर्भ में पल रहे बच्चों को संस्कार देने के अलावा यहाँ उन जोड़ों को भी निशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है जो अति प्रतिभाशाली और संस्कारवान बच्चे पैदा करना चाहते हैं.

ग्रह नक्षत्रों का अध्ययन कर केंद्र जोड़ों को गर्भ धारण करने की उपयुक्त तिथि और समय सुझाता है. गर्भ धारण के बाद वह होने वाली माताओं को भोजन, कपड़ों, संगीत, अध्ययन सामग्री, फिल्म आदि के बारे में यह केंद्र गाइड करता है ताकि वे तेजस्वी संतति का निर्माण कर सकें.

यूनिवर्सिटी के मुताबिक, “भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने तथा तेजोमय भारत के पुनर्निर्माण के लिए देश में ऋषियों, महर्षियों, ब्रह्मर्षियों और राजर्षियों का आगमन होना चाहिए. यह हमारे ऋषियों द्वारा दिए गए संस्कारों को पुनः अपनाने से ही संभव है. इसलिए भारत के गर्भ संस्कार विज्ञान को पुनः जागृत करना होगा. अधिजनन शास्त्र इक्षित संतति प्राप्त करने से जननी को तन, मन और ह्रदय शुद्ध एवं पवित्र होता है तथा उसकी कोख से दिव्य आत्मा का अवतरण संभव है.”

भारत की दिव्य भूमि पर इस विश्वविद्यालय का अवतरण २०११ में हुआ था और अगले साल से ही उसने गर्भ में पल रहे भ्रूण की शिक्षा का कोर्स चालू कर दिया. बाद में उसने तूफानी रफ़्तार से डिग्री और डिप्लोमा के कोर्स थोक में चालू किये. यह यूनिवर्सिटी कुल मिलकर ६२ ---- जी हाँ, ६२ ---- किस्म की डिग्रियां और डिप्लोमा बांटता है. आश्चर्य नहीं कि इस साल यूनिवर्सिटी की १८०० सीटों में से महज ५०० एडमिशन हुए. लगभग दो दर्ज़न कोर्स ऐसे है जिनमें एक ही एडमिशन हुआ! पहले यहाँ पहले शिक्षकों का टोटा था. अब उसे छात्र नहीं मिल रहे.

शिक्षा के क्षेत्र में आये इन अद्भुत प्रयोगों से मध्य प्रदेश में वास्तव में प्रतिभा ऐसा विस्फोट हो रहा है कि लोग दातों तले ऊँगली दबाने पर विवश हैं. शिवराज सिंह चौहान की सरकार एक सालाना कार्यक्रम चलाती है ---- मिल-बांचे मध्य प्रदेश. इसके तहत बड़े-बड़े लोग एक दिन के लिए शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ाने स्कूल जाते हैं. पिछले दिनों संपन्न इस हाई प्रोफाइल कार्यक्रम में चौहान सरकार के एक मंत्री, सूर्य प्रकाश मीणा, विदिशा जिले के एक स्कूल में पहुंचे.

उस अवसर का एक वीडियो वायरल हो रहा है. स्कूल में उनसे किसीने पुछा, “एमएलए का फुल फॉर्म क्या है?” बहुत देर सर खुजाने के बाद मीणा, जो २००८ से एमएलए हैं, बोले, “मेम्बर ऑफ़ लेजिस्लेटिव एडमिनिस्ट्रेशन.” मंत्री महोदय कॉमर्स ग्रेजुएट हैं, और संस्कारवान मध्य प्रदेश के कालेजों से ही पढ़े हैं. अगर यही हाल रहा तो न केवल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में बल्कि एमपी की हर यूनिवर्सिटी में एक गौशाला और एक गर्भ संस्कार केंद्र खोलना पड़ेगा.

Published in Tehelka (Hindi) of 30 Sept 2017

Email: nksexpress@gmail.com
Tweets: @nksexpress



x

Comments